सरकारी विभाग सबसे अधिक कर रहे बिजली की फिजूलखर्ची

Useless expenditure of electricity
प्रतीकात्मक फोटो

Useless expenditure of electricity

देहरादून। Useless expenditure of electricity उत्तराखण्ड में हर साल विद्युत दरों के टैरिफ में बढ़ावा कर आम लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है। बिजली की बढ़ती खपत और उत्पादन में आ रही कमी इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है।

वहीं, सरकार के जिम्मेदार अधिकारी खुद फिजूल में एसी और पंखा चलाकर बिजली का दुरुपयोग कर रहे हैं। साथ ही ऊर्जा विभाग के बिजली बचाव अभियान को ठेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं।

ऊर्जा विभाग में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए बिजली बचाव अभियान चलाकर विद्युत बचत का संदेश देता आ रहा है। देश के पीएम मोदी से लेकर प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह समेत बिजली बचत की जरूरत को बयां करते रहते हैं।

कमरे खाली होने के बावजूद एसी, पंखे और लाइटें चालू

चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में डिप्टी डॉयरेक्टर और सेक्शन अधिकारियों के कमरे खाली होने के बावजूद कमरों में एसी, पंखे और लाइटें चालू नजर आई।

बता दें कि उत्तराखंड में 3 महीने पहले ही बिजली के दाम बढ़ाए गए थे और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 2.79 फीसदी का इजाफा किया था।

हालांकि उस दौरान ऊर्जा निगम ने 882 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान लगाकर कुल 13 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की मांग की थी।

विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को 4.23 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करना पड़ रहा है, वहीं, व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 6.10 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ रहा है।

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