अब शक का इलाज हुआ मुमकिन Treatment of Doubt in hindi

Treatment of Doubt in hindi
अब शक का इलाज हुआ मुमकिन Treatment of Doubt in hindi

किशोरावस्था के बाद से ही शक की बीमारी शुरू हो जाती Disease of Doubt

यह कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि शक की दवा (Treatment of Doubt) न तो किसी हकीम के पास है और न किसी वैध के पास है। यह अब तक असंभव माना जाता था कि शंका यानी शक का इलाज है लेकिन मनोरोग विशेषज्ञोें ने इस बीमारी का इलाज निकाल लिया है।

किशोरावस्था के बाद से ही शक की बीमारी (Disease of Doubt) शुरू हो जाती है, किन्हीं लोगों में शक एक मानसिक रोग का रूप धारण कर लेता है। इसकी शुरूआत में पहले एक – दो व्यक्तियों पर शक होता है लेकिन कुछ वक्त बाद इससे ग्रसित व्यक्ति को हर किसी पर और फिर बात-बात पर शक होता है।

Doubt

परिवार इससे परेशान हो जाता है। वह सच्चाई से रूबरू कराने की सभी प्रयास करता है लेकिन फिर भी सभी नाकाम रहते हैं। समय पर इलाज न होने की हालत में व्यति का परिवार और समाज से अलगाव की स्थिति पैदा हो जाती है।

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इस बीमारी के कई कारण है जो इस प्रकार हैं-

  • मानसिक बीमारी पैरानोइया स्कीजोफ्रेनिया से ग्रस्त रोगियों में शक के लक्षण सर्वाधिक देखने को मिलते हैं।
  • पैरानाॅयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर रोग से ग्रसित रोगी स्वाभव से ही शक्की होते हैं। वह हमेशा हर बात के पीछे कोई न कोई रहस्य और साजिश तलाशते रहते हैं।
  • शराब, गाँजा और नशीले पदार्थों से यह बीमारी पैदा होकर स्थाई रूप धारण कर लेती है।
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Doubt रोग के इलाज में दवाओं का प्रमुख स्थान

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मस्तिष्क में रासायनिक कमी के चलते इस रोग के इलाज में दवाओं का प्रमुख स्थान है। अब ऐसी दवाएँ उपलब्ध हो चुकी हैं, जिनके सेवन से रोगी को साइड इफैक्ट और आफ्टर इफैक्ट नहीं होता है। दवाओं के सेवन से दो से तीन हफ्ते में ही रोगी का शक दूर हो जाता है। शक (doubt) के चलते अक्सर रोगी स्वयं को बीमार नहीं मानता, ऐसे में परिवार को ही खुद को बीमार समझकर कर उसका इलाज करवाना पड़ सकता है।

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