स्थानांतरण एक्ट के तहत सीएम सबसे पहले अपनी पत्नी को निलंबित करें

Transfer act
Transfer act के तहत सीएम सबसे पहले अपनी पत्नी को निलंबित करें

देहरादून। समाजसेवी सुभाष शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को आडे हाथों लेते हुए कहा कि स्थानांतरण एक्ट ( Transfer act ) के तहत वह सबसे पहले अपनी पत्नी को सस्पेंड करें, जो पिछले 22 सालों से सुगम में देहरादून में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि सभी के लिए नियम एक ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तरा पंत बहुगुणा के साथ अन्याय किया जा रहा है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुभाष शर्मा ने कहा है कि आज प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा जनता दरबार में शिक्षिका के साथ जो अभद्रता की गई उसकी जितनी निंदा की जाये वह कम है। मुख्यमंत्री को महिला शिक्षिका से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। प्रदेश में इस प्रकार की यह पहली घटना है जब प्रदेश के मुखिया ने नारी शक्ति का अपमान किया है।

Transfer act
पत्रकार वार्ता करते सुभाष शर्मा।

उन्होंने कहा कि Transfer act के तहत वह सबसे पहले सीएम अपनी पत्नी को सस्पेंड करें, जो पिछले 22 सालों से सुगम में कार्य कर रही हैं। उनका कहना है कि सुनीता रावत को सस्पेंड कर दुर्गम स्थान पर भेजना चाहिए। सभी के लिए नियम एक ही होने चाहिए। उत्तरा पंत बहुगुणा के साथ अन्याय किया जा रहा है, शीघ्र ही उनका निलंबन वापस लिया जाना चाहिए। प्रदेश के मुखिया ही स्थानांतरण एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे है।

सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

उन्होंने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और मंत्रियों एवं विधायकों के शिक्षक परिजनों के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जायेगी। मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता रावत प्रकरण में सूचना के अधिकार के मामले में मांगी गई सूचना तीन का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है जिसमें उनकी पत्नी की शिक्षा दीक्षा का उल्लेख है। उनका कहना है कि उच्च न्यायालय के जस्टिस लोकपाल सिंह ने विधायक मुन्ना सिंह चैहान प्रकरण में सुनवाई की और उन्हें न्याय दिया है।

उनका कहना है कि मेरी रिट पिटिशन पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए जस्टिस लोकपाल सिंह ने विधायक मुन्ना सिंह चौहान और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बीच हुई कहासुनी पर मेरी फेसबुक पोस्ट को असंज्ञेय अपराध माना है और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। उनका कहना है कि उन्हें न्याय मिला और सत्ता पक्षा तथा प्रभावशाली विधायक गुन्ना सिंह चौहान द्वारा पुलिस के माध्यम से उत्पीड़न और तथ्यपूर्ण लेखन पर रोक लगाने की कोशिश से भी अंतरिम रूप से राहत मिली है।

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