पांचवीं सदी की बुद्ध प्रतिमा को विश्व धरोहर घोषित करने के लिए यूनेस्को में तेज होगी पैरवी

कुशीनगर। कुशीनगर स्थित बुद्ध की पांचवी सदी की बुद्ध प्रतिमा को विश्व धरोहर घोषित करने के लिए यूनेस्को में भारत की पैरवी तेज होगी। कुशीनगर आई राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की अध्यक्ष प्रो. सुष्मिता पांडेय ने प्रतिमा को विश्व धरोहर घोषित करने लायक माना है।
संवाददाताओं के यह बताएं जाने पर की काफी पूर्व से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस आशय का प्रस्ताव यूनेस्कों में दिया है। यूनेस्कों में यह प्रस्ताव लंबित चल रहा है। अध्यक्ष ने कहा कि वह इस मामले की जानकारी कर यूनेस्को में पैरवी तेज कराएंगी ताकि प्रतिमा विश्व धरोहर घोषित हो सके।
प्रतिमा के विश्व धरोहर घोषित होने से इसके संरक्षण की उच्च स्तरीय व्यवस्था लागू हो जाएगी। जिसके चलते प्रतिमा दीर्घकाल तक संरक्षित रहेगी। उल्लेखनीय है कि निर्वाण, शयन व चिंतन की भिन्न भिन्न मुख मुद्रा दिखाती प्रतिमा के दर्शन के लिए दुनिया के करीब 70 हजार विदेशी नागरिक कुशीनगर आते है।
पर्यावरणीय बदलाव व चीवर चघते रहने से प्रतिमा का ओरिजनल फ्लैक प्रभावित होने लगा है। जिसके बाद विभाग ने प्रतिमा की ग्लास से घेरेबंदी की। बावजूद इसके प्रतिमा के क्षरण का खतरा बघ हुआ है। प्राधिकरण की अध्यक्ष ने इस संबध में विभाग से विस्तृत रिपोर्ट तलब कर प्रभावी उपाय के साथ साथ विश्व धरोहर घोषित किए जाने के लिए पैरवी तेज किए जाने का भरोसा दिलाया।