Students suffering in Uttarakhand
देहरादून। Students suffering in Uttarakhand गुरु फोरेंसिक एंड डिटेक्टिव एजेंसी के चेयरमैन ने टाइम विटनेस से एक खास बातचीत के दौरान बताया कि, उत्तराखंड में कुछ हाई स्कूल और इंटर मीडिएट ऐसे है जिनमें, काफी समय से अनियमिताएं देखने को मिल रही है। जिस पर प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी आंखें मूंदे हुए बैठे है। कुछ शिकायतकर्ताओं ने हमें बताया है कि अधिकारी कुछ पैसे लेकर किसी भी शिक्षक का ट्रांसफर और प्रमोशन कर देते हैं। उनकी मंशा सिर्फ और सिर्फ अपनी जेबें भरना है जिसकी वजह से बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।
खंडूड़ी ने यह भी कहा कि, हमारा उत्तराखंड राज्य अपनी सुंदरता की वजह से जाना जाता है। यहाँ बाहर से कई पर्यटक आते है व हमारे राज्य की खूबसूरती को देखकर अपने मन को लुभाते है, साथ ही उत्तराखण्ड को शिक्षा का हब भी माना जाता है, लेकिन अब शिक्षा व्यवस्था का ग्राफ इतना गिर चुका है जिसे देख बेहद हैरानी होती है। पहाडों में आज भी स्कूल तो है लेकिन उनमें शिक्षक नही है।
कुछ सरकारी स्कूल ऐसे भी है जिनमें जिन शिक्षकों को शासकीय अधिकारियों ने नियुक्त करके वहाँ भेजा है। वही अगर सरकारी शिक्षकों की बात करे तो कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो खुद तो घर पर आराम करते हैं और अपनी जगह किसी और को नियुक्त करके मात्र 5-7 हजार का वेतन देते है। बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ऐसे कंधो पर डाल देते है जिन्हें अभी खुद किसी के कंधों की आवश्यकता है।
डोनेशन के नाम पर घूसखोरी बड़े धड़ल्ले से चल रही
उन्हें ये लगता है कि उनके इस षड्यंत्र पर किसी की नजर नही है। राज्य में कुछ स्कूल ऐसे भी है जिनमे बच्चों के एडमिशन में डोनेशन के नाम पर घूसखोरी बड़े धड़ल्ले से चल रही है। कई स्कूलों में तो शिक्षक ट्यूशन के नाम पर भी बच्चो से अच्छा पैसा कमा रहे हैं। जो विद्यार्थी अपने संबंधित स्कूल के टीचर से ट्यूशन पढ़ता है, वह परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है और उत्तीर्ण भी हो जाता है।
लेकिन जो विद्यार्थी अपने संबंधित स्कूल के टीचर से ट्यूशन नही पढ़ता वो उत्तीर्ण तो होता है लेकिन अच्छे अंक नही ला पाता, जिसे देख विद्यार्थी के माँ-बाप यही सोचते है कि संबंधित स्कूल के टीचर से ट्यूशन लगवा देते है तो अगली बार बच्चा अच्छे अंक प्राप्त तो कर लेगा। ट्यूशन लगवाने के बाद बच्चे के अच्छे अंक आ भी जाते है।
विजय खंडूड़ी ने यह भी कहा कि पहले के समय में शिक्षक अपने विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा देते थे, उस समय में शिक्षा कमाई का साधन नही था लेकिन आज के समय पर शिक्षकों ने शिक्षा को कमाई का साधन बना रखा है। पहले के समय में दसवीं पढ़े हुए बच्चे आज कामयाब भी है और अच्छा व्यवसाय भी कर रहे है लेकिन आज के समय में पढ़े हुए बच्चे डिग्रीयां हाथ में लेकर नौकरी के लिए भटक रहे है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रशानिक अधिकारी अपनी जेबों का ख्याल करते हुए चुप बैठे है, उन्हें डर है अगर इस पर संज्ञान लिया तो कहीं उनकी नौकरी खतरे में न आ जाए।
स्कूलों के पदाधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिला
खंडूड़ी ने बताया कि शिकायतकर्ताओं के शिकायत के बाद जब हमने जांच शुरू करी तो ऐसे कुछ स्कूलों के पदाधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिला है जिसका खुलासा वह जल्द ही करेंगे और सरकार के सामने काफी समय से चल रहे षड्यंत्र का खुलासा करेंगे। राज्य में कई यूनिवर्सिटी एवं डिग्री काॅलेज है जिनमें पढ़ने के लिए बच्चे बाहर से यहाँ आते है।
अगर उन विद्यार्थियों को सही शिक्षा प्राप्त ही नहीं होगी तो वह अपने भविष्य में कभी सफल नही हो पाएंगे और हमारे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की छवि धुमिल होगी, एवं परिणाम स्वरूप दूसरे राज्य के लोग अपने बच्चो को यहां पढ़ने के लिए नहीं भेंजेंगे, इसलिए जरूरी है कि इन सभी अनियमिताओं को सरकार दुरूस्त करे। आपको बता दें की विजय खंडूड़ी पिछले 3-4 वर्षों से उत्तराखंड में अपनी डिटेक्टिव एजेंसी चला रहे है और खंडूड़ी ने राज्य में एवं राज्य के बाहर भी काम किया है और कई पारिवारिक एवं सरकारी मामले सुलझाए है।
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