एसटीएफ ने दबोचा इंटरनेशनल साइबर ठग

STF arrested international cyber thugs

STF arrested international cyber thugs

देहरादून। STF arrested international cyber thugs विदेशो में रह रहे लोगों को विभिन्न सेवा देने व कंप्यूटर में फर्जी वायरस से सिस्टम को नुकसान से बचाने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड को एसटीएफ उत्तराखंड द्वारा राजधानी दून से गिरफ्तार कर लिया गया है।

एसटीएफ कार्यालय में पे्रसवार्ता के दौरान एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि बीते दिनों उत्तराखण्ड एसटीएफ को सूचना मिली कि इन दिनों साइबर अपराधियों द्वारा विदेश से डॉलर में पेमेंट, अवैध धन से प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट और करोड़ो रूपये के बैंक ट्रांसक्शन्स किये जा रहे हैं।

सूचना पर कार्यवाही की गयी तो पता चला कि देहरादून में एड़ी बिल्डर्स के नाम से आई. टी. पार्क के समीप साईबर अपराधियों द्वारा इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। जिस पर एसटीएफ ने एक आरोपी अर्जुन सिंह पुत्र नरेन्द्र सिंह को मौके से गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसका एक साथी दिलीप कुमार थुपेला फरार है। जिसकी तलाश की जा रही है।

पूछताछ में अर्जुन सिंह द्वारा खुलासा किया गया कि अमेरिका में रह रहे गिरोह के मास्टरमाइंड निपुण गंधोक की गिरफ्तारी के बाद, देहरादून व अन्य स्थानों पर कॉल सेंटर्स को बंद करके वर्चुअल नंबर्स से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा था।

आरोपी का एक साथी निपुन गन्धोक जो कि पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है उसके साथ मिलकर 2 वर्ष पूर्व विदेशी व्यत्तियों को माईक्रोसाफट कम्पनी से सम्बन्धित होना बताकर वर्चुअल नम्बर के माध्यम से सम्पर्क कर उनके कम्पयूटर से वायरस हटाने की बात कह कर धोखाधडी किया करता था।

52 लाख का जमीन लेन-देन में निवेश किया

निपुन की गिरफ्तारी के बाद अर्जुन सिंह द्वारा अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ये काम करना शुरू कर दिया गया था। गिरफ्तार ठग का साथी दिलीप कुमार थुपेला निवासी चंद्रबनी पहले से ही घटनास्थल पर नहीं था वह कहीं गया हुआ था।

एसटीएफ ने ठग के खाते खंगाले तो पता चला कि उसके 4 बैंक खाते जिसमें एक खाते में 9.5 लाख दूसरे में 4.5 लाख तीसरे में 2.5 लाख रुपए हैं तथा एक अन्य खाते में लगभग विगत वर्ष में 3.50 करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ है। साथ में उसने 52 लाख का जमीन लेन-देन में निवेश किया है|

उसने एक 20 लाख का फ्लैट लिया गया है गोपनीय जांच पर पता चला है कि उसके साथियों के अनुमानित 10 से 12 बैंक खाते हैं। दिल्ली में एक व्यक्ति को 15 लाख चेक से एवं 5 लाख कैश दिए। आरोपी दिलीप की माता एवं बहन को करीब 18 लाख खाते में भेजे हैं।

आरोपी ने एक वर्चुअल नम्बर द रियल पीबीएक्स कम्पनी से अपने नम्बर पर लिया है, जिसको माईक्रोंसोफट सपोर्ट सिस्टम के प्रतिनिधि के रूप में काम करने के लिये लिया था। आरोपी का एक साथी निपुन गन्धोक जो कि अमेरिका में रह रहा था|

उसके साथ मिलकर 2 वर्ष पूर्व विदेशी व्यक्तियों को माईक्रोसाफट कम्पनी से सम्बन्धित होना बताकर वर्चुअल नम्बर के माध्यम से सम्पर्क कर उनके कम्पयूटर से वायरस हटाने की बात कह कर धोखाधडी करता था।

इस काम के लिये जो पैसा निपुन के पास आता था उसमें आरोपी का हिस्सा विदेश से भेजता था। उसी समय के आसपास अमेरिका की पुलिस ने निपुन को गिरफ्तार कर लिया था और उसके बाद आरोपी ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ये काम करना शुरू कर दिया था।

आरोपी अपने लैपटाप में साफ्टवेयर के माध्यम से डील करता था

ये लड़के आरोपी को अमेरिकन विदेशी कस्टर के नम्बर भेजते थे जिनको आरोपी अपने लैपटाप में साफ्टवेयर के माध्यम से डील करता था और उनसे विभिन्न कम्पनियों जैसे एचपी, डैल, कैनन, लैक्समार्क के टेकशीयन के नाम से सर्विस प्रोवाईडर के रूप में पैसे प्राप्त करता था।

विदेशी कस्टमर का नम्बर उक्त आरोपी के साथी उपलब्ध कराते थे तथा उसका एक साथी जो कि कलकत्ता का रहने वाला था वो गेटवे के माध्यम से सम्बन्धित कस्टमर से धनराशि प्राप्त करता था।

आरोपी एवं उसके साथियों के मध्य समस्त लेन देन उनके बैंक खातो से आरोपी खाते के माध्यम से होता था जिसमें किसी एक कस्टमर से प्राप्त की गई धनराशि का कुछ प्रतिशत हिस्सा कोलकाता के साथी को जाता है व 1300 रूपये प्रति कस्टमर के काॅल प्रोवाईडर के रूप में विभिन्न साथियों में से उस साथी को जाता है जिसने आरोपी को उस कस्टमर का काॅल फारवर्ड किया हो।

साइबर ठगों को गिरफ्तार करने वाली एसटीएफ की टीम में पुलिस उपाधीक्षक जवाहर लाल, उपनिरीक्षक विपिन बहुगुणा, नरोत्तम बिष्ट, आशीष गुसांई, हेंड कांस्टेबल देवेन्द्र भारती, कांस्टेबल चमन कुमार, प्रमोद, सुधीर केसला, दीपक चन्दोला, सन्देश, कादर खान, चालक दीपक तवॅर शामिल थे।

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