State is getting 32 percent less Yamuna water
- उपलब्धता के अनुपात में उत्तराखंड को आवंटित हो यमुना जल
- ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की 9वीं रिव्यू कमेटी की बैठक में सिंचाई मंत्री ने रखा उत्तराखंड का पक्ष
- नकदी फसलों की उत्पादकता में कमी से भी हो रहा पलायन
देहरादून/नोएडा। State is getting 32 percent less Yamuna water ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की 9वीं रिव्यू कमेटी की बैठक प्रदेश के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने राज्य में सिंचाई की कमी से पर्वतीय इलाकों में उगने वाली नकदी फसल फल, सब्जी आदि की उत्पादकता में कमी से पलायन का जिक्र करते हुए उत्तराखंड राज्य को उसकी मांग के अनुसार यमुना जल आवंटित किए जाने का अनुरोध किया।
नोएडा, गौतम बुद्ध नगर स्थित ऊपरी यमुना नदी बोर्ड भवन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन गंगा संरक्षण विभाग, ऊपरी यमुना नदी बोर्ड द्वारा आयोजित रिव्यू कमेटी की नवीं बैठक में गुरुवार को यमुना नदी से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें जलस्तर, प्रदूषण और जल-बंटवारे के मुद्दे शामिल रहे।
बैठक में प्रतिभाग करते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि ऊपरी यमुना बेसिन राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इन पांचों राज्यों के मध्य जल बंटवारे को लेकर 12 मई 1994 को एक समझौता हुआ और यमुना बेसिन राज्यों के बीच यमुना जल प्रवाह में से उत्तर प्रदेश को कुल 4.032 बीसीएम जल आवंटित किया गया था।
वर्ष 2000 में उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद ऊपरी यमुना नदी बोर्ड समिति का छठ सदस्य बना। लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच यमुना जल बंटवारे को लेकर समझौता न हो पाने की स्थिति में केंद्र के हस्तक्षेप के बाद उत्तराखंड राज्य को उसकी मांग से लगभग 32 प्रतिशत कम यमुना जल आवंटित किया गया।
महाराज ने बैठक के दौरान राज्य का पक्ष रखते हुए कहा कि ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की 8वीं रिव्यू कमेटी की 21 फरवरी 2024 की बैठक में उत्तराखंड राज्य को तत्कालीन उत्तर प्रदेश के 4.032 बी.सी.एम. यमुना जल के हिस्से में से 0.311बी.सी.एम.यमुना जल आवंटित हुआ था जो कि मांग से 32 प्रतिशत कम था। यमुना जल आवंटन को लेकर सहमति इस शर्त के साथ दी गई थी कि 2025 के बाद समझौता ज्ञापन 12 मई 1994 की समीक्षा की जाएगी।
महाराज ने कहा कि उत्तराखंड राज्य को लखवाड़ एवं किशाऊ बहुउद्देश्य परियोजनाओं से निर्मित होने वाले जलाशयों के दुष्परिणाम का भी सामना करना पड़ेगा राज्य में सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसलिए समझौता ज्ञापन 12 मई 1994 की समीक्षा करते हुए उत्तराखंड राज्य को यमुना जल की उपलब्धता के अनुपात में जल आवंटित किया जाये।
बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, दिल्ली के सिंचाई मंत्री प्रवेश वर्मा, हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी और राजस्थान के सिंचाई मंत्री सुरेश सिंह रावत मौजूद रहे।
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