देहरादून। 11 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम कांग्रेस के बागियों का राजनीतिक भविष्य तय करने वाले होंगे। इसके साथ ही कुछ अन्य बड़े नेताओं का राजनीतिक करियर भी तय हो जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस से एक दर्जन विधायकों ने सरकार से बगावत की और भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे। सिर्फ विजय बहुगुणा ने अपने पुत्र सौरभ बहुगुणा को चुनाव मैदान में उतारा। शेष खुद चुनाव लड़े। कांग्रेस के बागी यशपाल आर्य ने तो अपने पुत्र संजीव आर्य को भी नैनीताल सीट से चुनाव मैदान में उतार कर उनके राजनीतिक करियर की शुरूवात कराई है।
जिले में बगावत करने वालों में डा. शैलेंद्र मोहन सिंघल भी भाजपा से चुनाव लड़े हैं। हालांकि वह जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन सियासी पंडित अभी उनकी जीत पक्की न मान कर टक्कर मान रहे हैं। यही नहीं उमेश काऊ, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, कुंवर प्रणव चैंपियन सरीखे नेता भाजपा से किस्मत आजमा रहे हैं। सभी के भाग्य का फैसला इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में कैद है जो 11 मार्च को सार्वजनिक हो जाएगा। इनमें जो नेता चुनाव नहीं जीत पाएंगे उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है। यह भी तय होना बाकी है कि प्रदेश में सरकार किस दल की बनेगी।
यदि सरकार भाजपा की बनेगी तो बागियों का क्या भविष्य होगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन यदि कांग्रेस की सरकार बन गई तो स्थितियां विपरीत हो सकती हैं। इसके अलावा चुनाव मैदान में उतरे कुछ अन्य कद्दावर नेताओं के लिए भी यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की सीट पर स्थिति साफ नहीं है। कुछ नेताओं के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है। ऐसे में यदि वह चुनाव हारे तो उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा। कुछ का राजनीतिक जीवन ही समाप्त हो सकता है। हालांकि भाजपा ने प्रदेश में सिर्फ मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने उत्तराखंड में ताबड़तोड़ सभाएं की। मोदी लहर का असर कितना हुआ यह भी 11 मार्च को स्पष्ट हो जाएगा।