नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं के मुद्दे पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने नोटंबदी के खिलाफ दर्ज सभी याचिकाओं, और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित सभी याचिकाओं को एक जगह स्थानांतरित करने की केन्द्र सरकार की मांग पर 2 दिसंबर को सुनवाई करने का फैसला किया है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की मांग पर संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसी के तहत एजी मुकुल रोहतगी ने नोटबंदी के मुद्दे के संबंध हलफनामा दायर किया था। बता दें कि केंद्र ने याचिका दाखिल कर नोटबंदी से जुड़ी सभी याचिकाओं को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसपफर करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अदालत विस्तार से 2 दिसंबर को सुनवाई करेगी। इस मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम देखते हैं इस मुद्दे पर क्या किया जा सकता है। यह एक गंभीर मामला है।
नोटबंदी मामले मे सिब्बल ने कहा कि ये गंभीर मसला है। योजना की संवैधानिक वैधता का सवाल है इस मामले को पाच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए। पहले दो बार हुई नोट बंदी का मामला संविधान पीठ ने सुना था। लेकिन अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सिब्बल का विरोध किया कहा विभिन्न हाई कोर्ट मे लंबित मामलों के ट्रांसफर हो जाने के बाद सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी। सुनवाई के दौरान वकील अश्वनी उपाध्याय ने नोट बंदी का समर्थन करते हुए कोर्ट मे दैनिक जागरण के सर्वे का जिक्र किया था।याचिकाकर्ता ने कहा था कि नोटबंदी के पफैसले के बाद जमीनी हकीकत कापफी गंभीर है और लोग पैसे की कमी के चलते मर रहे हैं। लोगों को अपने पैसे के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से पेस अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इन आरोपों को गलत बताया और कहा कि लोगों की मुश्किलों को दूर करने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।