पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया

शालू अवस्थी
 पढ़ना हर बच्चे के लिए जरुरी है क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया। पर धरातल पर ये बात कितनी सच साबित हो रही है? बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है विद्यालय जाना। पर क्या विद्यालय बच्चों को वो जरूरी चीजें दे पा रहे हैं? आपको बता दें कि यूपी के 11.7 प्रतिशत विद्यालयों में पीने के पानी की सुविधा ही नहीं है…  इसके अलावा 40.9  विद्यालयों में शौचालय तो हैं पर उनका इस्तेमाल ही नहीं किया जाता है, वहीं 12.3 विद्यालयों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है… क्या ये आंकड़े चौंकाने वाले नहीं है? इसका ठीक असर पड़ता है लड़कियों के उन खास दिनों पर….
जी हाँ हम बात कर रहे हैं माहवारी की….  आपको बता दें माहवारी और लड़कियों का विद्यालय जाना  दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं.. आपको जानकर हैरानी होगी कि माहवारी के दौरान 24प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं यानी इस हिसाब से साल में 50 दिन वो स्कूल नहीं जाती। और इस तरह दो महीने की पढ़ाई छूट जाती है.. ऐसे  में कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया। भारत में 11 करोड़ 13 लाख लड़कियां हैं जो कुल आबादी का 11 प्रतिशत है.. ऐसे में विद्यालयों में शौचालय का न होना भारत के भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है…
इसका शिकार अधिकतर गाँवों में रहने वाली लड़कियां और महिलाएं होती हैं…. गाँवो में लडकियां और महिलाएं आज भी मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती और उसके स्थान पर कपड़ा या रुई का प्रयोग करती हैं. ये बहुत बड़ी बीमारी को बुलावा देने के बराबर है. एक शोध के अनुसार एक महिला को मासिक धर्म के शुरआत से लेकर मेनोपॉज तक तकरीबन 7000 पैड्स की आवश्यकता होती है पर अभी भी ऐसी कई लड़कियां हैं जो पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती। एक रिपोर्ट में पाया गया कि 89% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कपडे का इस्तेमाल करती है, 2% महिलाएं है जो कि रुई का इस्तेमाल करती हैं, 2% महिलाएं राख का इस्तेमाल करती हैं और मात्र 7 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करती हैं.इससे महिलाएं कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकती है, जैसे कि झांघो में कटे के निशान,बार बार पेशाब लगना, खुजली, गुप्तांग में सूजन इत्यादि।
पर हमारे ही समाज के कई लोग हैं जो  सामने आये हैं और इस समस्या को कम करने की कोशिश कर रहे हैं… बहराइच की मनोरानी इस बात के लिए मिसाल बनकर सामने आयी हैं… मनोरानी की 6 बेटियां है, पति की मौत हो गयी है… गांव में शौचालय न होने के कारण 1000 वर्गफुट की जमीन दे डाली ताकि शौचालय बनवाया जा सके.. इस बात के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया…
125 घर हैं बहराइच के गांव भवानीपुर में, कतरनियाघाट सैंक्चुरी से सटा है।
1000 वर्गफुट जमीन थी मनोरानी की, जो आठ शौचालयों के लिए दी।
 वात्सल्य की टीम इस मुद्दे पर काफी समय से काम कर रही है.. इस वक़्त हम लखनऊ और आस पास के लगभग 80 स्कूलों में काम करके शौचालय बनवाकर किशोरियों को जागरूक कर रहे हैं.. 
-डॉ नीलम सिंह, वात्सल्य संस्था