शास्त्री जी की मौत का रहस्य क्या?

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शास्त्री जी की मौत का रहस्य खोले मोदी सरकारः सिन्हा

लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर उनकी मौत के रहस्य का खुलासा करने की मांग एक बार फिर उठाई गई है। भाजपा की तरफ से राज्यसभा सांसद रविन्द्र किशोर सिन्हा ने नरेन्द्र मोदी सरकार से अपील की है कि वो राष्ट्र हित में इसका खुलासा करें। उन्होंने कहा कि पिछली केन्द्र सरकारें इससे बचती रहीं, लेकिन मोदी सरकार में भारत और रूस के सम्बन्ध बेहतर हैं। रूस में पुराना शासन नहीं है, इसलिए केन्द्र सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
पत्नी से जतायी थी हत्या की आशंका
राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की पुण्यतिथि पर कहा कि वह यूपी के ही नहीं पूरे देश के लाल थे। उनकी रहस्यमय मौत की सच्चाई जानना देशवासियों का हक है। आर.के. सिन्हा ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में कहा कि तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद शहर में भारतीय समय के हिसाब से 11 जनवरी 1966 के तड़के दो बजे शास्त्री जी की मौत हो गई थी। इससे पहले उन्होंने अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को पफोन करके बेहद दबाव में होने की बात कही थी। उन्होंने ललिता जी से कहा था कि मुझे जहर दे दिया गया है और शायद मैं नहीं बचूंगा। इसलिए मेरे चश्मे की खोली में रखी पर्ची को खोलना। उन्होंने कहा कि आखिर ललिता जी ने किसके दबाव में उसे नहीं खोला?
पोस्टमार्टम नहीं कराने पर भी उठे थे सवाल
राज्यसभा सांसद ने कहा कि आखिकर एक प्रधानमंत्री का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया। जब उनका पार्थिव शरीर तत्कालीन पालम एयरपोर्ट पर लाया गया तो उनके चमड़े का रंग नीला पड़ गया था और माथे के साथ कुछ और जगहों पर सपफेद धब्बे थे। ललिता शास्त्री ने इसे देखते ही अपने पति की मौत सामान्य नहीं होने की बात कही थी। इसके बाद भी इसका खुलासा नहीं किया गया।
शास्त्री और सुभाष चन्द्र बोस का कनेक्शन
आर.के. सिन्हा ने कहा कि सोवियत संघ के नेताओं ने दबाव के तहत शास्त्री जी से ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कराए थे, ताकि वह भारत महाद्वीप में पश्चिमी ब्लाॅक के सामने अपनी श्रेष्ठता साबित करा सकें। यह भी कहा जाता था कि नेताजी जी सुभाष चन्द्र बोस की मौत 1945 में विमान हादसे में नहीं हुई थी, बल्कि उनको गिरफ्तार करके साईबेरियन जेल में रखा गया था और उनके जरिए शास्त्री जी को बुलवाया गया। इसके बाद शास्त्री जी की हत्या कर दी गई और बाद में गुपचुप तरीके से नेताजी को फांसी दे दी गई। इसलिए इन सभी तथ्यों की गहराई से जांच करके सच्चाई उजागर होना बेहद जरूरी है।
करीबियों की मौत ने भी उठाए सवाल
राज्यसभा सांसद ने कहा कि शास्त्री जी की मौत के दौरान ताशकंद में उनके निजी डाॅक्टर के तौर पर गए आर.एन. चुग की भी कुछ समय बाद संदेहास्पद परिस्थितियों में परिवार सहित सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इसके अलावा, उनका निजी सहायक भी एक दुर्घटना का शिकार हुआ और उसकी याद्दाश्त चली गई। तमाम बिन्दु ऐसे हैं, जो इस बात की ओर सापफ इशारा करते हैं कि शास्त्री जी की मौत स्वाभाविक नहीं थी।
रेल मंत्री से स्मारक बनाने की मांग
आर.के सिन्हा ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखकर शास्त्री जी के वास्तविक जन्म स्थान पर स्मारक बनाने की मांग की है। यह स्थान मुगलसराय रेलवे यार्ड के पास है, जहां शास्त्री जी का जन्म अपने नाना के वहां हुआ था। रेलवे ने इस स्थान को घेर रखा है। उन्होंने कहा कि यह अन्याय है। अगर रेलवे स्मारक बनाने में असक्षम हैं, तो वह जनसहयोग से स्वयं ऐसा करने को तैयार हैं। उन्होंने कांग्रेस पर शास्त्री जी को सोची समझी रणनीति के तहत किनारे करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक संगठन था, जिसे पार्टी बना दिया गया। गांधी परिवार के लोगों ने षड़यन्त्र के तहत इसे परिवार की पार्टी बना दिया है और यह ऐसा प्रचारित किया जाता है कि जैसे कांग्रेस को बनाने में केवल गांधी परिवार का ही हाथ था। शास्त्री जी जैसे राष्ट्रवादी धार को भुलाने की साजिश रची गई और परिवारवाद को बढ़ावा दिया गया।