628 करोड़ की परियोजनाओं से सवरेंगी वन पंचायत

Projects worth Rs 628 crore to Van Panchayat

देहरादून। Projects worth Rs 628 crore to Van Panchayat उत्तराखंड में वन पंचायतों को अगले दस सालो तक जड़ी बूटी रोपण संबधी कार्य दिया जाने वाला है। करीब पांच हजार हैक्टेयर क्षेत्र में 500 वन पंचायतों को विकसित भारत के विजन के साथ जोड़ा जाएगा। इस परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से मंगलवार को वन पंचायत की एक वृहद कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि भारत में वन पंचायत व्यवस्था केवल उत्तराखण्ड राज्य में है। गांव से लगे वनो को संरक्षित रखते हुऐ स्थानीय ग्रामीणो की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए वर्ष 1930 में वन पंचायत व्यवस्था आरम्भ हुई, जो कि आज तक प्रचलित है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में पंचायती वन, सामुदायिक वानिकी के उत्तम उदाहरण है। वन पंचायत एक स्थानीय संस्था है जो कानूनी रूप से सीमांकित ग्राम वन (पंचायती वन) का प्रबंधन करती है। उनियाल ने कहा कि वन पंचायतें और मजबूत हो और इन्हे दीर्घकालीन योजना से जोड़ा जाए। इस बारे में वन पंचायत विंग ने काम शुरू किया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि वन पंचायतों को विभिन्न योजनाओं तथा रोजगारोन्मुख वृक्षारोपणों से जोड़कर पर्वतीय अंचल के निवासियों को वनों के विकास से सम्बद्ध किया जाय, इसी उदेश्य के साथ सरकार ने ‘वन पंचायतों के माध्यम से एनटीएफपी का विकास तथा हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट’ का आरम्भ किया गया है।

वन मंत्री ने बताया कि यह परियोजना आगामी 10 वर्षों तक संचालित की जायेगी, जिसमें 628 करोड़ खर्च किए जाएंगे। परियोजना के तहत कुल 500 वन पंचायतों का चयन किया जा रहा है, जिसमें 5000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में जड़ी-बूटी का रोपण किया जायेंगा, साथ ही 10000 व्यक्तियों को जड़ी-बूटी रोपण से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। इसके अतिरिक्त निजी भूमि पर भी 5000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में भी जड़ीबूटी रोपण किया जायेगा, साथ ही साथ परियोजना के तहत 11 हर्बल व एरोमा टूरिज्म पार्क भी विकसित किए जायेगें।

प्रमुख वन संरक्षक, वन पंचायत डॉ धनंजय मोहन ने बताया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य में 11217 वन पंचायतें अवस्थित हैं जिनका कुल क्षेत्रफल 452644.29 हैक्टेयर है। वर्कशॉप में मुख्य वन संरक्षक, वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते ने उक्त परियोजना के तहत अब तक किये गये कार्यों की प्रगति विवरण पर प्रस्तुतीकरण दिया।

वर्कशॉप में प्रमुख वन संरक्षक, नियोजन एवं वित्तीय प्रबन्धन गिरजा शंकर पांडेय, प्रमुख वन संरक्षक प्रशासन बी पी गुप्ता, प्रमुख वन संरक्षक जायका विजय कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक, परियोजनाएं कपिल लाल, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल नरेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक, मानव संसाधन एवं विकास कार्मिक निशान्त वर्मा, गढ़वाल मंडल के लगभग सभी वन अधिकारी मौजूद रहे, जबकि कुमाऊं मंडल के वन अधिकारियो ने वर्चुअल भागेदारी की।

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