उत्तराखण्ड में 16 सालों में पास हुए इतने बिल

देहरादून, । राज्य बनने के बाद अब तक 380 बिल विधानसभा में पास हो चुके हैं। मौजूदा विधानसभा में ही 183 बिल पास हुए हैं। हालांकि इनमें कई पुराने कानूनों में संशोधन हुआ है तो कईं नए बिल भी शामिल हैं, जो राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन गए हैं। लेकिन दिलचस्प बात यहै कि इनमें से ज्यादातर बिलों पर सदन में कोई चर्चा ही नहीं हो पाई है। कई बिल राजभवन ने बिना पास करे भी लौटाए हैं। सरकार चाहे किसी की भी रही हो, लेकिन ऐसा हर सरकार में हुआ है। उत्तराखंड विधानसभा की यही नियति है। विधानसभा का सत्र आयोजित होता है।

लेकिन हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। साल का पहला विधानसभा सत्र हो या पिफर आखिरी सत्र, हर सत्र में हंगामा होना जरुरी सा लगने लगा है। मौजूदा सरकार के आखिरी वर्ष में विधानसभा सत्र के दौरान की तस्वीर सबके सामने है। आखिरी सत्र गैरसेंण में हुआ, लेकिन विपक्ष की गैरमौजूदगी में करीब दो दर्जन बिल बिना चर्चा के ही पास हो गए। खुद मौजूदा सरकार के न्याय एवं विधि मंत्री दिनेश अग्रवाल कहते हैं कि सदन में हंगामा ज्यादा होता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मौजूदा सरकार में विधानसभा में बिना चर्चा के ही बिल पास हुए। बल्कि सरकार बीजेपी की हो या फिर कांग्रेस की। विधानसभा सत्र हंगामे की भंटे चढ़ते रहे हैं। सरकारें अपने बिल पास कराती रही हैं। चाहे उन पर विपक्ष सदन में मौजूद हो या ना हो। चाहे बिलों पर कोई चर्चा हो या ना हो। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल इसका सारा दोष कांग्रेस पर डालते हैं।

सरकार जब किसी कानून में संशोधन करती है या फिर नया कानून बनाना चाहती है तो उसका ड्राफ्ट बिल के रूप में विधानसभा में पेश करती है। सामान्य तौर पर माना जाता है कि विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य उस बिल पर चर्चा करेंगे। लेकिन ऐसा कम ही होता है। राजनीतिक समीक्षक और वरिष्ट पत्रकार एसएमए काजमी कहते हैं कि सदन में हंगामे के चलते बिलों का पास होना बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सरकारों में होता रहा है। नए कानून के उद्देश्य तक पर चर्चा नहीं होती है। राज्य के अब तक के इतिहास में कईं बार ऐसा भी हुआ है कि विधानसभा से पारित हो चुके बिल को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी। जिनमें सरकारों को बाद में संशोधन के साथ विधानसभा में लाना पड़ा है। जानकार मानते हैं कि विधानसभा में नए बिल के सभी पहलुओँ पर चर्चा हो तो राजभवन से लौटने की संभावना भी कम हो जाती है।