बीमा कम्पनी को 50 लाख मय ब्याज देने का आदेश

Order to pay 50 lakh interest to insurance company

उधमसिंहनगर के पहले सबसे बड़े उपभोक्ता केस का फैसला महिला उपभोक्ता के पक्ष में
जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी के क्लेम निरस्त करने को माना गलत

देहरादून। Order to pay 50 lakh interest to insurance company जिला उपभोक्ता आयोग, उधमसिंह नगर ने 50 लाख रूपये, इस पर ब्याज तथा वाद व्यय उपभोक्ता को भुगतान करने का आदेश बीमा कम्पनी को दिया है। यह फैसला जिला आयोग ने अपने सबसे पहले सबसे बड़े उपभोक्ता केस में दिया हैै।

यह अभी तक जिला आयोग/फोरम द्वारा किया गया सबसे बड़ी धनराशि का आदेश है। काशीपुर निवासी सितारा बेगम की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, उधमसिंह नगर मेें परिवाद दायर करके कहा गया था कि उसके पति शकील अहमद ने आई.सी.आई.सी.आई. प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कं0 लि0 के अधिकारियों द्वारा बतायी गयी विशेषताओं पर विश्वास करके 7357 रू. के प्रीमियम का भुगतान करके एक जीवन बीमा पॉलिसी करायी। जिसमें बीमित धनराशि 50 लाख रू0 स्वीकार की गयी थी।

परिवादिनी को इस पॉलिसी में नामित बनाया गया था। दिनांक 29-10-2019 को परिवादिनी के पति की अचानक मृत्यु हो गयी। जिसके उपरान्त परिवादिनी ने बीमा धनराशि प्राप्त करने के लिये बीमा कम्पनी में दावा किया।

कई बार बीमा कम्पनी के अधिकारियों व एजेन्ट से सम्पर्क करने के बाद भी बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया और न ही कोई लिखित सूचना ही परिवादिनी को दी। परिवादिनी के मोबाइल नम्बर पर 24-04-2020 को मैसेज आया उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया है और निर्णय पत्र इंटरनैट लिंक पर उपलब्ध हैै।

अपनी बीमारी के सम्बन्ध में गलत तथ्य ही प्र्स्ताव में दिये थे

परिवादिनी ने लिंक पर दिखवाया तो पत्र नहीं मिला। इसके लिये भी कई चक्कर लगाने पर इस पत्र की प्रति 04-06-2020 को उसके व्हाट्स एप्प नम्बर पर उपलब्ध करायी गयी।

इस पत्र में बीमा कम्पनी ने यह झूठा व अवैध आरोप लगाते हुये बीमा क्लेम देने से इंकार कर दिया कि परिवादिनी के पति ने अपने बीमा प्रस्ताव में अपनी बीमारी के सम्बन्ध में नहीं बताये थे और वह  2017 से कोरोनरी आर्टरी डिसीज (सी.ए.डी.) से पीड़ित थे जबकि वास्तविकता में न तो परिवादिनी के पति किसी बीमारी से पीड़ित थे और न ही उन्होेंने अपनी बीमारी के सम्बन्ध में गलत तथ्य ही प्र्स्ताव में दिये थे।

बीमा कम्पनी ने बीमा क्लेम देने से इंकार करके व परिवादिनी के पति पर झूठा आरोप लगाकर उपभोक्ता सेवा में कमी की है व अनुचित व्यापारिक व्यवहार किया है जिससे परिवादिनी तथा उसके परिवार को गहरा मानसिक आघात पहुंचा हैै व आर्थिक नुकसान हुआ हैै जिसके लिये बीमा कम्पनी व उसके अधिकारी जिम्मेदार है।

परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम से समस्त तथ्यों का उल्लेख करते हुये एक कानूनी नोटिस भी भिजवाया जिसका बीमा कम्पनी व अधिकारियों ने न तो जवाब दिया और न ही बीमा क्लेम का ही भुगतान किया।

इस पर परिवादिनी ने 01 सितम्बर 2020 को उपभोक्ता परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग में दायर किया। जिला आयोग में दायर 50 लाख से अधिक धनराशि का यह पहला उपभोक्ता केस बना।

बीमा कम्पनी ने बीमा क्लेम से इंकार करने को सही बताते हुये परिवाद निरस्त करने की प्रार्थना की। इसके समर्थन शकील अहमद के एक चिकित्सा प्रमाण पत्र की प्रति भी दाखिल की।

इसके उपरान्त परिवादिनी की ओर से नदीम उद्दीन ने इसी चिकित्सक से पूर्ण विवरण सहित प्रमाण पत्र, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि परिवादिनी के पति को कोई बीमारी नहीं थी, फाइल किया।

चिकित्सक को बयान हेतु उपभोक्ता आयोग में तलब किया

जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल सिंह, सदस्या देवेन्द्र कुमारी तागरा तथा सदस्य नवीन चन्द्र चन्दौला ने दोनों पक्षों द्वारा विरोधाभासी चिकित्सा प्रमाण पत्रों की प्रतियां फाइल होने पर पहले तो दोनों पक्षों से मूल प्रमाण पत्र फाइल कराये उसके उपरान्त सम्बन्धित चिकित्सक को बयान हेतु उपभोक्ता आयोग में तलब किया।

सम्बन्धित चिकित्सक ने आयोग के समक्ष अपने बयान में कहा कि दोनों प्रमाण पत्र अलग-अलग व्यक्तियोें से सम्बन्धित है। परिवादिनी के पति को कोई बीमारी नहीं थी।

जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल सिंह, सदस्या देवेन्द्र कुमारी तागरा तथा सदस्य नवीन चन्द्र चन्दौला ने परिवादिनी के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में स्पष्ट लिखा कि बीमा कम्पनी की ओर से पूर्च बीमारी को छिपाने के सम्बन्ध में एक मात्र चिकित्सा प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है जो उसके जारी करने वाले चिकित्सक से बयान से साबित हो गया है कि यह प्रमाण पत्र बीमित शकील अहमद के लिए नहीं था किसी अन्य शकील अहमद के लिए था।

परिवादिनी के पति को बीमा कराने से पूर्व कोई बीमारी नहीं थी। बीमा कम्पनी ने परिवादिनी का बीमा दावा निरस्त करके त्रुटि की हैै। परिवादिनी बीमित धनराशि को ब्याज सहित प्राप्त करने की अधिकारी है।

जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी को अपने 28-09-2022 के निर्णय से आदेेश दिया कि निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर 50 लाख रूपये जो परिवाद दायर करने की तिथि 01-09-2020 से 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित देय होगी का भुगतान परिवादिनी को करें। साथ ही 5 हजार रूपये वाद ब्यय का भुगतान की परिवादिनी को करें।

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