रेशम कीड़ों की आपूर्ति के लिए मिलेगी एक करोड़ रूपये की सहायता

Oak Tasar Development Project
ओक तसर विकास परियोजना’ के शुभारम्भ अवसर पर सीएम स्टालों का अवलोकन करते हुए।
‘ ओक तसर विकास परियोजना’ ( Oak Tasar Development Project ) का सीएम ने किया शुभारम्भ

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को रिंग रोड स्थित किसान भवन में ‘‘ओक तसर विकास परियोजना’’ ( Oak Tasar Development Project ) का शुभारम्भ किया। यह परियोजना केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से सीएसएस के अन्तर्गत किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने रेशम कीड़ों की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार की ओर से 01 करोड़ रूपये सहायता एवं उत्तराखण्ड में रेशम के ओक तसर रिसर्च सेंटर के लिए अनुकूलता के आधार पर भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा की।

हिमाचल प्रदेश की भांति उत्तराखण्ड में भी रेशम के कीड़ों के लिए किसानों के लिए धनराशि की व्यवस्था किये जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने रेशम विभाग की पुस्तक एवं फोल्डर का विमोचन तथा स्टाॅलों का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ओक तसर विकास परियोजना से रेशम उद्योग से जुड़े किसानों को रोजगार के नये आयाम जुड़ेंगे। प्रदेश में रेशम उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन सकता है। उत्तराखण्ड में बाँज प्राकृतिक रूप से अत्यधिक मात्रा में पैदा होता है।

बाँॅज पर्यावरण एवं पानी के श्रोत विकसित करने लिए बहुत उपयुक्त है। मणिपुरी बाॅज के पौध उत्तराखण्ड में लगाना लाभप्रद होगा। इस बाॅज की ग्रोथ भी अच्छी है व इसकी पत्तियां कोमल भी होती हैं। उन्होंने कहा कि मैदानी जनपदों में रेशम उत्पादन में कमी आई है, रेशम के उत्पादन वृद्धि करने के लिए उन्होंने और अधिक प्रयासों की जरूरत बतायी। पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में कृषि भूमि उपलब्ध है वहां पर भी ओक एवं मलबरी के पौध रोपण कर किसान रेशम उत्पादन कर आय में वृद्धि कर सकते हैं। ओक एवं मलबरी के उत्पादन में वृद्धि के लिए कास्तकारों एवं रेशम विभाग को प्रयास करने होंगे।

Oak Tasar Development Project से राज्य में रेशम उत्पादन में वृद्धि होगी

केन्द्रीय वस्त्र राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना से राज्य में रेशम उत्पादन में वृद्धि होगी। देश में सिल्क का उत्पादन लगभग 33 हजार मीट्रिक टन है। उत्तराखण्ड में मलबरी सिल्क का उत्पादन अभी 33 मीट्रिक टन है, जिसे 55 मीट्रिक टन किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। टेक्सटाइल के क्षेत्र में देश के निर्यात में 18 से 22 प्रतिशत सिल्क का निर्यात भारत करता है। देश में सिल्क उत्पादन में वृद्धि के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं।

कोसी के पुनर्जीवीकरण के लिए 500 हेक्टेयर वन पंचायत की भूमि पर बाँज का रोपण किया जायेगा। मणिपुरी बाँच के पौधे अधिक लगाये जायेंगे। इससे बाॅज का ऐरिया बढ़ेगा और प्राकृतिक जल भी उपलब्ध होगा। किसान सिल्क की खेती से अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। सिल्क उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जायेगा। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने जरूरी हैं।

रेशम के क्षेत्र में नये कलस्टर विकसित करके हम आगे बढ़ सकते हैं। उत्तराखण्ड सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। ओक तसर विकास परियोजना से लोगों को रोजगार की सम्भावनाओं को बढ़ाकर सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, केन्द्रीय रेशम बोर्ड के अध्यक्ष के.एम हनुमन्थरायप्पा, अपर सचिव उद्यान डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट, उद्यान निदेशक आनन्द कुमार यादव आदि उपस्थित रहे।

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