Netaji Subhash Chandra Bose was a precious gem of India
ऋषिकेश। Netaji Subhash Chandra Bose was a precious gem of India महान राष्ट्रवादी और देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय इतिहास के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। आज पूरा भारत उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर (बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत) में उनका जन्म हुआ था।
नेताजी के जीवन पर स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षाओं का बहुत प्रभाव था। स्वामी विवेकानन्द जी के साहित्य से प्रेरित होकर ही नेताजी उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु तथा चितरंजन दास जी को राजनीतिक गुरु मानते थे। ‘जय हिंद’ जैसे अनेक प्रसिद्ध नारे देकर नेताजी ने भारतीयों की आत्मा को झकझोरा था, ऐसे महान क्रान्तिकारी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक अनमोल रत्न थे और सदा रहेंगे। भारत के ऐसे अनमोल रत्न को उनकी 125 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर भारत सरकार द्वारा ’’भारत रत्न’’ से सुशोभित किया जाये तो हर भारतीय को अपार प्रसन्नता होगी।
साथ ही नेताजी के मौत के सभी रहस्यों पर से पर्दा भी उठाया जाये ताकि पूरे राष्ट्र को अपने चहेते नेताजी जी की मौत के बारे में जानकारी मिल सके। यह उनके लिये हम सभी की ओर से श्रद्धाजंलि होगी।
स्वामी जी ने प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी और भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की जयंती वास्तव में एक ‘पराक्रम दिवस’ है।
नेताजी ने एकता और संगठन शक्ति का परिचय कराया था
’’आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके’’| ऐसे क्रान्तिकारी विचार एक महान पराक्रमी और देशभक्त के ही हो सकते है।
नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन कर भारतीयों को एकता और संगठन शक्ति का परिचय कराया था। तिहासकारों का कहना है कि नेताजी द्वारा बनाई गई आजाद हिन्द फौज को छोड़कर शायद ही विश्व-इतिहास में ऐसी कोई घटना हुई हो, जहां करीब 30-35 हजार युद्धबन्दियों ने एक साथ मिलकर अपने देश की आजादी के लिए ऐसा जबरदस्त संघर्ष किया हो।
स्वामी जी ने कहा कि नेताजी में कुशाग्र बुद्धि के साथ संगठन की भी अद्भुत क्षमता थी। उनके विचार आज भी जनमानस में देशभक्ति का जज्बा और जोश पैदा करते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम था उनके इन शब्दों में उस प्रेम के साक्षात दर्शन होते है ‘‘हमारी मातृभूमि स्वतन्त्रता की खोज में है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।
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