इस्लामिक शिक्षा के अनुरूप चरित्र निमार्ण की जरूरत : काज़ी

Need for character building according to Islamic education

देहरादून। Need for character building according to Islamic education आज के दौर में हम सब समाज सुधार की खूब बाते कर रहें हैं, मगर कोई भी व्यक्ति अपने किरदार को संवारने और इस्लामिक शिक्षाओं के अनुरूप जीवन यापन करने को तैयार नही है। जब तक कुरआन की शिक्षा को आत्मसात नही किया जाएगा तब तक कोई बात नही बनेगी। यह बात देहरादून के शहर काज़ी मौलाना मौहम्मद अहमद कासमी ने मदरसा दार-ए-अरकम में आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही।

उन्होने कहा कि शादी-विवाह में लाखों-करोड़ों खर्च करने वाले भी मेहर अदा करने से बचते है, जबकि महर अदा करना वाजिब है। उन्होने शादी में फीजूल खर्ची से बचने और अपना पूरा जीवन इस्लामिक शिक्षाओं के मुताबिक गुजारने का आह्वान किया। कहा कि कहने से कुछ नही होने वाला हर व्यक्ति अपने आपको सुधारे, समाज खुद सुधर जाएगा। शहर काजी ने कहा कि कुरआन पढ़ो, समझों और उस पर अमल करों।

इससे पूर्व उत्तराखण्ड का नाम रोशन करने वाले मदरसा दार-ए-अरकम आजाद कालोनी के छात्र हाफिज़ मोहम्मद सुफयान को कुरआन पढ़ने की प्रतियोगिया में ऑल यूपी-उत्तराखण्ड में चौथा और उत्तराखण्ड में पहला स्थान प्राप्त करने और समाज सेवी व तस्मिया कुरआन अकादमी के संस्थापक डॉ. एस फरूक को समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने व शहर काजी मौलाना मौहम्मद अहमद कासमी, मुफ्ति सलीम अहमद कासमी काजी दारूल कज़ा, उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स, मदरसा बोर्ड के उप रजिस्ट्रार अब्दुल यामीन, मुफ्ति वासिल कासमी, हाफिज़ सुलेमान, मुफ्ति अयाज़, मौलाना मेहताब, कारी वसीम, मौलाना शाकिर कासमी, मौलाना रागिब, कारी शाहवेज़, मौलाना अब्दुल वाजिद, डॉ. सरफराज, हाफिज़ उवैस व तौसीफ खान आदि को उत्कृष्ट कार्य करने पर सम्मानित किया गया।

इस मौके पर मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने कहा कि कुरआन हिफ्ज़ करना बड़ी कामरानी की बात है, कयामत में हाफिजों के खानदान वालों और इन का सहयोग करने को खुदा इनाम से नवाज़ेगा। हाफिजों के मां-बाप को सोने-चांदी का ताज पहनाया जाएगा।

मुख्य अथिति समाज सेवी डॉ. एस फारूक ने कहा कि कुरआन दुनिया में सब से ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है, हर एक भाषा में इस का अनुवाद हो चुका है, कुरआन मानव का सब से बड़ा मार्गदशक है। कुरआन को अपने जीवन में शामिल करने की जरूरत है।

उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि इमानदार कोशिशे कभी नाकाम नही होती, आप जिस भी क्षेत्र में हैं, वहा इमानदारी से काम करो, छात्र हो तो इमानदारी से पढ़ाई करों मंजिल आप को खुद तलाश करेगी। इमानदारी और संघर्ष ही सफलता का गुरूमंत्र है। मुफ्ति वासिल कासमी ने भी कुरआन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

कारी शाहवेज की तिलावत से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ, हाफिज़ गुलफाम ने हम्द, हाफिज़ अनस ने नात पढ़ी और कार्यक्रम का संचालन मदरसे के मोहतमिम हाफिज मौहम्मद शाहनज़र ने किया। इस मौके पर प्रबंधक मास्टर अब्दुल सत्तार, पार्षद आफताब आलम, मौलाना अहतशाम, मौलाना गुलशेर, मुफ्ति खुशनूद, कारी अहसान, कारी नईम, मौलाना मंजर, मौलाना सोबान, कारी आरिफ, कारी फरहान, हाजी शमशाद, अब्दुल वहाब व फरमान इकबाल आदि मौजूद रहे।

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