शायरी : मोहब्बत हमने की जो एक खता हो गयी

hamne mohabbat

मोहब्बत हमने की जो एक खता हो गयी
कि वफा और जिंदगी सजा हो गई,
वफा करते रहे हम इबादतों की तरह
फिर इबादत खुद एक गुनहा हो गई।

कितना सुहाना था सफर जब साथ थे हम
फिर क्या हुआ क्यों मंजील जुदा हो गई,
कोई चाहत कोई हसरत कोई उम्मीद नहीं रही
वह गया तो लगा दुनिया फना हो गई।


वह कह गये कि मेरा इंतजार मत करना
मैं कहूं भी तो मुझ पे ऐतबार मत करना
वो कहते हैं मुझे तुमसे मुहब्बत नहीं
पर तुम किसी और से प्यार मत करना।।

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