पर्यटन सीजन में सारे दावों की निकली हवा
MDDA does not know Carrying Capacity
देहरादून। MDDA does not know Carrying Capacity त्रिवेंद्र रावत सरकार ने 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने का अभियान भी शुरू किया है। लेकिन इस साल इतने ज्यादा पर्यटक आ गए हैं कि सारी व्यवस्थाएं ढह गई नजर आ रही हैं।
खुद प्रदेश के पर्यटन मंत्री यह स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश के टूरिस्ट डेशटिनेशन अपनी क्षमता से अधिक पर्यटकों से जूझ रहे हैं। लेकिन समस्या यह है कि मसूरी जैसे पर्यटक स्थल कितनी संख्या में लोगों का भार उठा सकता है। यही अभी पता नहीं है।
प्रदेश के टूरिस्ट डेस्टीनेशन अपनी क्षमता से ज्यादा प्र्यटकों को ढो रहे हैं और यही वजह है कि राज्य भर से लोगों के लंबे ट्रैफिक जामों में फंसने की खबरें आ रही हैं। खासकर वीकेंड पर नैनीताल, मसूरी जैसे मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर इतनी ज्यादा संख्या में लोग पहुंच रहे हैं कि सारे इंतजाम धरे के धरे रह जा रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार 1.10 करोड़ की आबादी वाले उत्तराखंड में हर साल 50 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। यानि कुल आबादी के आधे तो पर्यटक ही आते हैं। इतनी बड़ी फ्लोटिंग पॉपुलेशन के लिए इंन्फ्रस्ट्रक्चर प्रदेश के पास है ही नहीं।
मई और जून राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण
पर्यटन के लिहाज से मई और जून राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि बड़ी संख्या में लोग इन दो महीनों में धार्मिक पर्यटन और घूमने के लिए पहुंचते हैं। मशहूर हिल स्टेशनों पर तो वीकेंड्स में जगह मिलनी मुश्किल हो जाती है।
मौजूदा व्यवस्थाएं इतनी बड़ी फ्लोटिंग पॉपुलेशन के लिए नाकाफी साबित होती हैं। देहरादून-मसूरी के लिए सिटी प्लानिंग का काम कर एमडीडीए यानि मसूरी देहरादून डेवलपमेंट अथॉरिटी करती है।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि देहरादून और मसूरी के विकास के लिए मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। इसमें अगले 20 साल तक की जरूरतों का ख्याल रखा जाएगा।
लेकिन कमाल की बात यह है कि अभी एमडीडीए तक को नहीं पता कि देहरादून-मसूरी कि कैरिंग कैपेसिटी है कितनी। श्रीवास्तव कहते हैं कि मास्टर प्लान में इसका भी अध्ययन किया जा रहा है।
राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड टूरिज्म के आधार पर विकास के सपने तो देखता-बुनता रहा लेकिन अपने पर्यटक स्थलों की सेहत की सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए कुछ नहीं किया। अब जबकि बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगे हैं तो व्यवस्थाओं के सारे दावे हवा हो जा रहे हैं।
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