अब आनलाईन होंगे मजलिस तहफ्फुज खत्मे नबुव्वत के सभी कार्यक्रम

Majlis Tahfuz Khatme Nebuwat Program

Majlis Tahfuz Khatme Nebuwat Program

मजलिस के इतिहास में सराहनीय क़दम हैः मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी
सभी मजलिसों को जल्द ही आनलाइन सिस्टम से जोड़ा जाएः मौलाना शाह आलम

दिल्ली। Majlis Tahfuz Khatme Nebuwat Program मजलिस तहफ्फुज़ ख़त्मे नबुव्वत दिल्ली के सभी कार्यक्रम आनलाईन किये गये है। मजलिस की आलनाइन प्रणाली का उद्घाटन दारूल उलूम देवबन्द के कुलपति मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी और मौलाना शाह आलम गोरखपुरी प्राफेेसर आल इडिया मजलिस तहफ्फुज़ ख़त्मे नबुव्वत ने किया।

आनलाइन सिस्टम पर जैसे ही मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी और मौलाना शाह आलम गोरखपुरी उपस्थित हुये कार्यक्रम में उपस्थित सभी मेम्बरान ने अस्सलामो अलैकुल कह कर उनका स्वागत किया।

मुफ्ती अबुल क़ासिम ( Mufti Abul Qasim Nomani ) ने इस विषय पर अपने 30 मिनट के ब्यान में कहा कि दिल्ली मजलिस का ये एतिहासिक क़दम है जो मुसलमानों के अक़ीदा और अमल की हिपफ़ाज़त के लिये उठाया गया है।

उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मौलाना शाह आलम, क़ारी आरिफ जमाल सेक्रेट्री, क़ारी रबीउल हसन और हाफिज़ अबरार अहमद साहब का शुक्रिया अदा किया।

मुसलमानों को विभाजित करने की कोशिशे करते हैं

मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी ( Mufti Abul Qasim Nomani ) ने अपने ब्यान में अक़ीदे का महत्व और वर्तमान व्यवस्था से मिलकर काम करने की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मजलिस के सदस्यों के आग्रह और समय की आवश्यकता को देखते हुये आनलाइन प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जो समुदाय धार्मिक रूप में आकर मुसलमानों को विभाजित करने की कोशिशे करते हैं जैसे कादियानी फिरका, जो खुद को अहमदिया कहते हैं या शकीली फिरका या इमाम महदी होने के दावेदार, बहाई, महदवी आदि उनसे मुसलमानों को बचाने का काम करने वाले सभी लोग बधाई के पात्र हैं।

मौलाना शाह आलम ने प्रोग्राम का संचालन करते हुये अपने ब्यान में कहा कि जल्द ही हिन्दुस्तान भर की तमाम मजलिसें और उनके कार्यक्रम आनलाइन सिस्टम से जोड़ दिये जायेंगे, ताकि कानून और व्यवस्था बनाये रखने में कोई कठिनाई न आये।

इस मौके पर मौलाना क़ाज़ी कामिल, मोहम्मद अहमद तुरासलु इस्लामी देवबन्द, मौलाना शहबाज़ अख़्तर क़ासमी, मौलाना सगीर आलम नेपाली, मुफ्ती सिद्दीक़ (तिलंगाना), मुफ्ती अबुबकर क़ासमी बीएलएलबी अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।

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