Main points of Uniform Civil Code
1-तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
2-तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।
3-गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
4-संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।
5-अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
6-सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी।
7-लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा।
8- प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी।
9-एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त।
- पुरुष और महिला के बीच विवाह तभी अनुबंध किया जा सकता है, जब विवाह के समय दोनों पक्षकारों में ना तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और ना ही वधू का कोई जीवित पति हो।
- विवाह के समय पुरुष की आयु 21 वर्ष पूरी हो और स्त्री की आयु 18 वर्ष पूरी हो।
- धारा 6 के तहत विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- पति या पत्नी में से किसी ने दूसरे के सहचार्य से किसी युक्ति युक्त प्रति हेतु के बिना प्रत्यारित कर लिया हो, तब पीड़ित पक्ष दांपत्य अधिकारों के प्रतिस्थापन के लिए न्यायालय में याचिका द्वारा आवेदन कर सकेगा।
- विवाह का कोई भी पक्षकार इस संहिता के प्रारंभ होने के बाद न्यायिक पृथक्करण की प्रार्थना करते हुए याचिका प्रस्तुत कर सकेगा।
- विवाह निम्नलिखित आधारों में किसी भी न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत किए जाने पर शून्य अवर्णीय होगा, अगर प्रत्यार्थी की नपुंसकता या जानबूझकर प्रतिषेध के कारण विवाह उत्तर संभोग नहीं हुआ है।
- या याचिकाकर्ता की सहमति बलपूर्वक प्रकीर्णन या धोखाघड़ी से प्राप्त की गई हो या पत्नी विवाह के समय पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से गर्भवती थी या पति ने विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती किया था।
- किसी भी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत याचिका पर विवाह विच्छेद के आज्ञाक्ति द्वारा सिर्फ इस आधार पर विघटित किया जा सकेगा कि दूसरे पक्षकार ने विवाह के पश्चात याचिका करता से भिन्न किसी व्यक्ति के साथ संभोग किया हो या दूसरे पक्षकार ने विवाह के बाद याचिका करता के साथ क्रूरता का व्यवहार किया हो।
अपने धर्मानुसार करे शादी, पंजीकरण कराना अनिर्वाय
- विवाह के समय पुरुष ने 21 व स्त्री ने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो
- विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और न वधू का कोई जीवित पति हो
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 पेश कर दिया गया है, इस विधेयक में सभी को अपन धर्मानुसार शादी करने की अनुमति दी गई है, मगर साथ ही कहा गया है कि सभी को पंजीकरण कराना भी अनिर्वाय होगा, शादी ही नही तलाक का भी पंजीकरण कराना होगा।
समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 के अध्याय-1 में विवाह अनुष्ठापन व अनुबंधन के लिये अपेक्षित आवश्यकताएं बताई गई है, कहा गया है कि एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह अनुष्ठापित व अनुबंधित किया जा सकता है, यदि उिन दोनों में निम्नलिखित अपेक्षित आवश्यकताएं पूर्ण होती हों, विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से, न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और न वधू का कोई जीवित पति हो। विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से कोई पक्षकार-चित्त विकृति के परिणाम स्वरूप विधिमान्य सम्मति देने में असमर्थ न हो, या विधिमान्य सम्मत्ति देने में समर्थ होने पर भी इस प्रकार के या इस सीमा तक मानसिक विकार से पीड़ित न रहा हो कि वह विवाह के लिए अयोग्य हो, या उनमत्तता का बार-बार दौरा पड़ने से पीड़ित न हो, विवाह के समय पुरुष ने इयकीस वर्ष की आयु और स्त्री ने अठारह वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो। विवाह के पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर न हो, या भीतर हों तो भी दोनों पक्षकारों में से किसी भी एक को शासित करने वाली रूढ़ि या प्रथा उन दोनों के मध्य विवाह अनुमन्य करती हो, मगर यह कि ऐसी रूढ़ि और प्रथा लोकनीति और नैतिकता के विपरीत न हो। किसी भी विधि के अन्तर्गत विवाह प्रतिषिद्ध न हो।
यूसीसी में कहा गया है कि पुरूष वं महिला के मध्य विवाह का अनुष्ठापन व अनुबंधन धार्मिक मान्यताओं, प्रथाओं, रूढिगत संस्कारों और अनुष्ठानों, जैसे ‘सप्तपदी’, ‘आशीर्वाद’, ‘निकाह’, ‘पवित्र बंधन’, आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के तहत ‘आनंद कारज’, तथा विशेष विवाह अधिनियम, 1954 व आर्य विवाह मान्यकरण अधिनियम, 1937 के अनुरूप किन्तु इनसे सीमित हुए बिना हो सकता हैं।
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