साहित्य और संस्कृति देश की आत्मा होती है : स्वामी चिदानन्द

Literature and culture are soul of the country
स्वामी चिदानन्द सरस्वती कवि सुमित्रानंद पंत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।

Literature and culture are soul of the country

राष्ट्रीय एकता में कवियों का अद्भुत योगदानः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। Literature and culture are soul of the country परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारतीय साहित्य को समृद्धि बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पुनरूत्थानवादी दृष्टिकोण के कवि सुमित्रानन्दन पंत जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि उन्होंने सांस्कृतिक एवं सामाजिक विषयों के साथ समाज निर्माण, समाज जागरण एवं तात्कालिक स्थितियों को उजागर करने हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सुमित्रानन्दन पंत जी का प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम था। उन्होंने अपनी कविताओं में प्राकृतिक परिवेश, सुरम्य प्राकृतिक वातावरण एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर वर्णन किया है। उन्होंने ‘एकोडहं बहुस्यामि’ की दार्शनिक मान्यता पर भी अपने विचार व्यक्त किये तथा अपनी कविताओं के माध्यम से अनेकता में एकता के सूत्र को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों दृष्टियों से व्यक्त करते हुये कहा कि इस सिद्धान्त को भौतिक दृष्टि से भी अपनाया जाये तो सुखद भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।

पंत जी ने उस समय की सामाजिक समस्याओं को उजागर करने हेतु कई रचनायें की, जिनमें ‘पतिता’, ‘परकीया’ शीर्षक वाली नारी विषयक कविताएँ हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि साहित्य और संस्कृति तो किसी भी देश की आत्मा होती है।

साहित्य और संस्कृति ही वह मूल सिद्धान्त है जिससे उस राष्ट्र और वहां के समाज के संस्कारों का बोध होता है। साथ ही इससे वहां के लोगों के जीवन आदर्शों, जीवन मूल्यों और परम्पराओं का निर्धारण भी किया जाता है। साहित्य और संस्कृति वह मूल सिद्धान्त है जो हमारे समाज का निर्माण करते हैं।

भारतीय साहित्य की समृद्धशाली परम्परा ने दुनिया का मार्गदर्शन किया : Swami Chidanand Saraswati

भारतीय साहित्य और संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय साहित्य की समृद्धशाली परम्परा ने दुनिया का मार्गदर्शन किया है। हमारे देश के कवियों, साहित्यकारों और विचारकों ने ‘उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम’ जैसे सिद्धांत दुनिया को दिये हैं, जिसमें लोग आज भी गहरी आस्था रखते हैं।

भारतीय साहित्य को जीवंत बनाये रखने में, जनजागरण और राष्ट्रीय एकता के लिये कवियों ने अद्भुत योगदान दिया। भारत को स्वतंत्र करने में क्रांतिकारियों के साथ कवियों की ओजस्वी कविताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी और हर गांव व गली में आजादी की अलख जगायी थी।

उस समय की कविताओं की शक्ति और प्रेरणा आज भी यथावत है और आने वाले हर युग में भी रहेगी। चूंकि कविता दिल से निकलती है और दिलों को छू लेती है। उसमें वह प्राणतत्व होता है जो निश्चित रूप से परिवर्तन लाता है। सुमित्रानन्दन पंत जी ऐसे मूर्धन्य कवि थे जिन्होंने प्रकृति की सुरम्यता का बड़ी ही सहजता से चित्रण किया।

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