चमोली । देवाल विकासखण्ड के वाॅण गांव में स्थित सुविख्यात लाटू देवता मंदिर के कपाट बुद्धपूर्णिमा के दिन पूरे विधि विधान एवं पारम्परिक रीति रिवाज के साथ एक दिन के लिए खोले गये। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्वालुओं ने अराध्य लाटू देवता की पूजा अर्चना करते हुए मन्नत मांगी। प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महराज वाॅण में खराब मौसम के चलते हैलीकाॅफ्टर से उतर नही पाये। उन्होंने हैलीकाॅफ्टर से ही लाटू देवता को नमन किया। कपाट खुलने के अवसर पर क्षेत्रीय विधायक मगन लाल शाह ने कहा कि वाण स्थित लाटू देवता मंदिर को धाम के रूप में विकसित किया जायेगा।
उन्होंने पर्यटन मंत्री से आग्रह किया के वे जल्द इसकी घोषणा करें और लाटू देवता धाम को पर्यटन मानचित्र पर लाने की पहल की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से धार्मिक पर्यटन को बढावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है तथा विभिन्न धार्मिक स्थलों पर अवस्थापना सुविधा विकसित करने के लिए कार्य किया जा रहा है। प्रसिद्व लाटू देवता का मंदिर साल में एक दिन ही खुलता है। इस मंदिर की खास बात है कि यहा श्रद्वालु तो दूर स्वयं मंदिर का पुजारी भी भगवान के दर्शन नही कर पाता है। पुजारी को भी मुॅह व आॅखों पर पट्टियां बाॅधकर लाटू देवता की पूजा अर्चना करनी पडती है।
मंदिर में कोई अन्दर न देखे इसके लिए मंदिर के मुख्य कपाट पर पर्दा लगाया जाता हैं। माना जाता है कि इस मंदिर के अन्दर साक्षात रूप में नागराज मणी के साथ निवास करते है। श्रृद्वालु साक्षात नाग को देखकर डरे नही, इसलिए मुहॅ व आॅखों पर पट्टी बाॅध कर पूजा करनी पड़ती है। श्रृद्वालुओं को भी दूर से दर्शन करने पडते है। जिस दिन लाटू देवता के कपाट खुलते है उस दिन यहाॅ पर विष्णु सहस्रनाम व भगवती चण्डिका का पाठ भी किया जा ता है। मान्यता व श्रुतियों के अनुसार इस देवता का मंदिर नन्दा देवी के यात्रा मार्ग वाण क्षेत्र में है। नन्दा देवी राजजात में लाटू देवता नन्दा देवी के कैलाश विदाई में शामिल होते है। वाण क्षेत्र के लोगों में लाटू देवता के प्रति बडी श्रृद्वा है। लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू देवता के मंदिर में आते है। कहते है यहाॅ से मांगी मनोकामना जरूर पूरी होती है। मंदिर के कपाट साल भर एक ही बार एक ही दिन के लिए खुलते है।