इस बार भी सोनप्रयाग ही रहेगा केदारनाथ यात्रा का मुख्य केंद्र

रुद्रप्रयाग । इस बार भी सोनप्रयाग से ही केदारनाथ यात्रा का संचालन होगा। यहीं से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग व धम में होने वाली सभी तरह की गतिविध्यिों पर नजर रखीजाएगी। वर्ष 2013 तक गौरीकुंड से ही यात्रा का संचालन हुआ करता था। लेकिन, इसी वर्ष जून में आई आपदा के बाद गौरीकुंड के अलग-थलग पड़ जाने से सोनप्रयाग ही यात्रा का मुख्य पड़ाव बन गया। केदारनाथ धम के लिए यात्रा मुख्य रूप से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग से शुरू होती है। लेकिन, बीते चार साल से सोनप्रयाग यात्रा का प्रारंभिक बिंदु बना हुआ है।

यहीं से यात्राी पैदल मार्ग के लिए आगे बढ़ते हैं। बाहरी राज्यों से आने वाले सभी वाहन भी यहीं स्टे करते हैं और यहां से आगे श्रधालु पैदल, घोड़ा या पालकी से यात्रा करते हैं। सभी यात्रियों के यहां रुकने से भत्तफों की भारी भीड़ हो जाती है। ऐसे में प्रशासन के लिए यात्रा व्यवस्थाओं को संभालना बड़ी चुनौती बन जाता है। इस बार भी सोनप्रयाग से प्रीपेड सिस्टम, घोड़ा व पालकी का संचालन होगा। इसके अलावा कर्मचारियों की तैनाती, बसों का संचालन, राशन-सब्जी आदि सामग्री भी यहीं से केदारनाथ पहुंचाई जाएगी। सोनप्रयाग में ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ;निमद्ध की यूनिट भी स्थापित है। हालांकि, प्रशासन ने गौरीकुंड तक यातायात व्यवस्था सुचारु कर दी है, लेकिन बड़े वाहनों की आवाजाही में अब भी दिक्कत पेश आ रही है। इसके अलावा गौरीकुंड में पार्किंग की व्यवस्था भी नहीं है।

आपदा के बाद चार यात्रा सीजन बीत चुके हैं, लेकिन गौरीकुंड को अब तक पुराने ढर्रे पर नहीं लाया जा सका। सोनप्रयाग से आगे हाइवे इतना खतरनाक है कि हल्की बारिश में भी अवरु( हो जाता है। इसे देऽते हुए पिफलहाल गौरीकुंड से यात्रा का संचालन करना संभव नहीं। सोनप्रयाग के व्यापारी दिनेश भट्टð के मुताबिक सोनप्रयाग आपदा के बाद से ही यात्रा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। सरकार को यहां ज्यादा से ज्यादा यात्रा सुविधएं जुटानी चाहिएं। ताकि यात्रा निरापद बनी रहे। इससे यहां के व्यापारियों को भी पफायदा मिलेगा। इसके साथ ही गौरीकुंड का भी विकास किया जाना जरूरी है। गौरीकुंड व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी के अनुसार सोनप्रयाग के साथ ही गौरीकुंड के प्रति ध्यान दिया जाना भी जरूरी है। गौरीकुंड से यात्रा व्यवस्था संचालित होने से यात्रियों को इसका पफायदा मिलता है। वह एक ही दिन में दर्शन कर लौट सकते हैं। अपर जिलाध्कारी रुद्रप्रयाग तीर्थपाल सिंह के अनुसार सोनप्रयाग के साथ ही गौरीकुंड भी यात्रा का मुख्य केंद्र है। आपदा के बाद स्थितियां बदली हैं। प्रशासन के लिए सभी यात्रा पड़ाव महत्वपूर्ण हैं। सभी में व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं।