सवालो के घेरे में पिटकुल झाझरा की घटना की जांच

Investigation of Pitkul Jhajhra incident in question

Investigation of Pitkul Jhajhra incident in question

करोड़ों के नुकसान की जांच में कहीं लिपापोती करने की कोशिश तो नहीं हो रही?

देहरादून। 19 जुलाई को पिटकुल के 220 के0वी0 उपकेन्द्र झाझरा में जिस तरीके से आग लगी, इसे उत्तराखण्ड के इतिहास में एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा सकता है। अच्छी बात यह रही कि इस घ्टना में किसी भी कर्मचारी के साथ कोई भी अनहोनी नहीं हुई।

पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी ने आनन-फानन में इसकी जांच कमेटी का गठन कर दिया है, इस जांच कमेटी के अधिकारियों में मुख्य अभियन्ता T&C एचएस हयांकी, मुख्य अभियन्ता गढ़वाल क्षेत्र अनुपम सिंह एवं अधीक्षण अभियंता T&C डीपी सिंह है, जो 15 दिनों के अन्दर अपनी विस्तृत आख्या प्रबंध निदेशक को सौंपेगी। लेकिन इन जांच अधिकारियों को लेकर कई सवालिया निशान उठने लगे हैंः-

  1. जिन अधिकारियों को जांच अधिकारी बनाया गया है उन्हीं लोगो की जिम्मेदारी थी कि विद्युत निर्माण कार्यों से संबंधित उपकरणो की गुणवत्ता का परीक्षण निरंतर करते रहे, विद्युत इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण, विद्युत प्रदर्शन परीक्षण आदि करते रहे।
  2. ऐसी किसी घटना की जांच तीन एजेंसियों पावर ग्रीड कॉरपोरेशन आफ इंडिया लि0 (पीजीसीआईएल), सेंट्रल इलेक्ट्रीसीटी ऑथोरिटी इंडिया (सीईए) या सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट बैंगलोर (सीपीआरआई) में से किसी एक से करवाई जाती है। लेकिन यहां पर विभागीय अधिकारियों को ही इसकी जांच सौंप दी गई है। तो ऐसे में क्या यह जांच पारदर्शी तरीके से हो पायेगी? सवाल इस पर भी खड़ा होता है कि कहीं इस पूरे मामले में कोई षड़यंत्र तो नहीं रचा गया है, या रचा जा रहा है?

निष्पक्ष जांच कराने की जरूरत

जानकारी के अनुसार एक ऐसी ही घटना लगभग तीन महीने पहले भगवानपुर में भी हो चुकी है। अब अगर ऐसी घटना बार-बार हो रही है तो इसके पीछे की वजह के बारे में सरकार को जरूर सोचना होगा और इसकी निष्पक्ष जांच के लिए विभागीय जांच न बैठाकर इसकी जांच को पीजीसीआईएस, सीईए या सीपीआरआई बैंगलोर में से किसी एक एजेंसी को सौंपनी होगी। क्योंकि ऐसे घटनाओं से सरकार को करोड़ो का नुकसान होता है। और मुख्य आरोपी बड़ी असानी से बच निकलता है।

Investigation of Pitkul Jhajhra incident in question

वहीं पिटकुल के प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी की क्वालिफिकेशन की बात की जाए तो इन्होंने समाजशास्त्र से एम.ए. किया हुया है जबकि इस पद पर शासन द्वारा टेक्निकल इंजीनियर की योग्यता आहर्त की गई है| अब अगर कहीं कोई टेक्निकल खराबी आ जाती है, जैसे अभी आई है तो प्रबंध निदेशक कैसे इस समस्या से निपट पाएंगे| ऐसी परिस्थिति में तो प्रबंध निदेशक दूसरों पर ही निर्भर होंगे| ऐसे में भविष्य में किसी भी समय बहुत बड़ा हादसा होने की संभावनए प्रबल है, जिससे कि न सिर्फ प्रदेश को आर्थिक हानि होगी, बल्कि साथ ही साथ उत्तरी ग्रिड के भी फेल होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता| सुत्रो के मुताबिक अगर पिछले कुछ महिनो में इनकी कार्यशैली की बात की जाये तो जिन अधिकारियों को कार्य का ज्यादा अनुभव नहीं है, उन्हे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

वहीं जब हमारे द्वारा पिटकुल के प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी से बात हुई और विषय में जानकारी हासिल करनी चाही तो उन्होंने अभी कुछ भी बताने से मना कर दिया और एक दो दिन बाद इस घटना की जानकारी देने के लिए कहा है।

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