उत्तराखंड में विकराल हुई जंगलों की आग

Forest fire in Uttarakhand

Forest fire in Uttarakhand

देहरादून। Forest fire in Uttarakhand उत्तराखंड के जंगलों में पंद्रह फरवरी से शुरू हुए फायर सीजन में अभी तक आग लगने की एक हजार से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। सबसे अधिक पांच सौ से अधिक घटनाएं कुमाऊं मंडल में हुई हैं। अभी तक पंद्रह सौ हेक्टेयर से अधिक एरिया में जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं।

वन विभाग का मानना है कि जंगल की आग से विभाग को करीब 42 लाख के आसपास नुकसान हो चुका है। आग से वन्य जीव जैंसे संवदेनशील क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं। वाइल्ड लाइफ रिजर्व एरिया में अभी तक आग लगने की 61 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।

वन्य जीव एरिया में आग लगने का ये अभी तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। इसने वन्य जीव प्रेमियों के साथ ही वन विभाग की भी चिंता बढ़ा दी है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में प्रदेश के आठ जिले आग से सबसे अधिक प्रभावित हैं। जिनमें अल्मोड़ा जिला सबसे टॉप पर है।

उसके बाद पिथौरागढ़ और तीसरे स्थान पर पौड़ी जिला है, जो आग से सबसे अधिक प्रभावित है। बागेश्वर, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, चंपावत भी संवेदनशील जिलों में शामिल हैं।

आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने इन सभी आठ जिलों के डीएम को पत्र लिखकर आग पर काबू पाने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है।

प्रमुख सचिव ने कहा है कि केवल वन विभाग के द्वारा ही आग पर कंट्रोल कर पाना संभव नहीं है। डीएम से अपेक्षा की गई है कि वे इसमें राजस्व और पुलिस प्रशासन का भी सहयोग लें|

जरूरत पड़ने पर संबधित सभी विभागों, संस्थाओं और सेना व अर्धसैनिक बलों का भी सहयोग लिया जाए। इसके अलावा प्रमुख सचिव ने इन संवेदनशील जिलों में वन विभाग को पर्याप्त स्टॉप की तैनाती करने के भी निर्देश जारी किए हैं।

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