हरेला पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपरा का प्रतीक : मुख्यमंत्री

Harela festival is our cultural heritage
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

Harela festival is our cultural heritage

जनता से बुके की जगह पौधा भेंट करने का मुख्यमंत्री ने किया आग्रह
विकास के साथ ही पर्यावरण संतुलन के लिए किए जा रहे हैं प्रयासः हरक

देहरादून। Harela festival is our cultural heritage मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहस्त्रधारा हेलीपैड के निकट एम.डी.डी.ए सिटी पार्क में वृक्षारोपण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला सम्पन्नता, हरियाली एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व है। यह पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपरा का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। वृक्षारोपण का कार्यक्रम केवल सरकारी कार्यक्रम तक ही सीमित न रहे। इसे जन-जन का कार्यक्रम बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के साथ ही उनका संरक्षण हो इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।     

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री से भेंट के लिए लोग बुके न दें। बुके की जगह पर पौधा भेंट करें। प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण हो हरेला पर्व पर हमें यह संकल्प लेना है।

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए। हमारी भावी पीढ़ी को हरा भरा उत्तराखंड मिले, इस दिशा में हमें लगातार प्रयास करने होंगे। जल स्रोतों के सूखने पर मुख्यमंत्री ने चिन्ता जताते हुए कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में प्रयास करने होंगे।     

पर्यावरण संरक्षण का संदेश विश्वभर में जाए : Pushkar Singh Dhami

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृति और प्रकृति का केंद्र भी है। उत्तराखंड की धरती से पर्यावरण संरक्षण का संदेश विश्वभर में जाए। वृक्षारोपण एवं अनेक सामाजिक कार्यों से हम सबको अपना योगदान देना होगा।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां के धार्मिक परंपराएं, रीति रिवाज का व्यापक प्रसार हुआ है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार द्वारा विकास के साथ पर्यावरण संतुलन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

उत्तराखंड का संतुलित विकास हो यह हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कुछ कार्य आत्म संतुष्टि के लिए भी होने चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम आज सबके सामने है। प्रकृति अनेक रूपों में बदला जरूर लेती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती लोगों की आस्था का केंद्र है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, अपर प्रमुख वन संरक्षक ज्योत्सना सिथलिंग, डी.जी.के शर्मा,जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष एमडीडीए रणवीर सिंह चैहान एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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