नई दिल्ली, । केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने आज कहा कि उनका मंत्रालय चाहता है कि भूजल के उपयोग संबंधित सख्त कानून बने और दिशा में काम भी कर रहा है जिससे इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
दिल्ली में आयोजित भूजल मंथन-2 कार्यक्रम में बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि हर काम के लिए जमीनी जल का उपयोग करना सही नहीं है। वह चाहती हैं कि एक ऐसा कानून बने कि जिसमें इसके प्रयोग संबंधित दिशा निर्देश हों। उन्होंने कहा की साफ पानी, जमीनी पानी और उपचारित पानी तीनों को अलग-अलग कर देखा जाना चाहिए और किस काम में कौन सा पानी उपयोग में आएगा इसको लेकर कानून होना चाहिए। इसके दुरुपयोग पर सख्त दंड के प्रावधान होने चाहिए। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की ओर से आयोजित भूजल मंथन-2 के उद्घ्घाटन अवसर पर उमा भारती ने कहा कि भूजल संरक्षण के लिए कृषि, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और जल संसाधन मंत्रालय को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा इजरायल 62 प्रतिशत उपचारित जल का उपयोग करता हैद्य दूसरी ओर हम अपने सापफ पानी को ही सोख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश को इस स्थिति से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा हम एक देश हैं और हमें एक-दूसरे की चिंता करनी होगी।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है हम अपने स्वार्थ के कारण इनका दोहन और शोषण कर रहे हैं। इसके चलते संसाधनों का संकट पैदा हुआ है जिसके लिए इंसान जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि भूजल प्रबंधन आज संकट के दौर से गुजर रहा है। आबादी बढ़ने की तुलना में भूजल नहीं बढ़ रहा। इससे एक असंतुलन पैदा हो रहा है। जल ही जीवन है और ऐसी परिस्थिति में भूजल संरक्षण जरूरी हैद्य उन्होंने आशा जताई कि इस मंथन से जो सुझाव आएंगे वे उपयोगी होंगे। उन्होंने कहा कि स्वच्छता की दिशा में बढ़ते हुए हमे इस बात पर भी विचार करना होगा कि शौचालय के लिए बने पाॅट में पानी का उपयोग कैसे कम हो। हमारी संस्कृति में एक लौटे से हाथ धोने का प्रावधान है जबकि आज वाश बेसिन में हम ज्यादा पानी खर्च रहे हैं। इस दिशा में भी प्रयास होने चाहिए। इस दौरान सेमिनार वाॅल्यूम और मेरा भूजल एप का विमोचन किया गया। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के डीजी केबी बिस्वास ने कहा कि इस भूजल मंथन का उद्देश्य भूजल संरक्षण की दिशा में काम काम करना और उसके स्तर को बढ़ाने की दिशा में काम करना है।