राज्यपाल ने स्वामी रामतीर्थ की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया

Governor celebrated the birth anniversary of Swami Ramtirtha
कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते राज्यपाल।

Governor celebrated the birth anniversary of Swami Ramtirtha

देहरादून। Governor celebrated the birth anniversary of Swami Ramtirtha राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को राजभवन से स्वामी रामतीर्थ जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया।

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय, टिहरी और स्वामी रामतीर्थ फाउंडेशन टिहरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने स्वामी रामतीर्थ जी की 150वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड, ऋषि-मुनियों, साधु-संतों और महान विचारकों की पवित्र भूमि है।

उन्होंने कहा कि यह देवभूमि ऐसे महापुरुषों की तपःस्थली भी है, जिन्होंने भारतीय सभ्यता, संस्कृति, अध्यात्म, चिंतन, ज्ञान, विज्ञान और वैचारिक विद्या का प्रसार किया है। उन्होंने कहा कि स्वामी रामतीर्थ भी उसी महान संत परम्परा के महापुरुष हैं जिन्होंने उत्तराखण्ड की इस भूमि से भारतीय वेदान्त दर्शन के चिन्तन के साथ विश्व का मार्ग प्रशस्त किया है।

राज्यपाल ने कहा कि आज युवाओं को ऐसे महापुरुष के विचार दर्शन और आदर्शों पर चलकर उनसे सीख लेने की जरूरत है।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने शांति और अध्यात्म का मार्ग दिखाया है इसी विचार और धारणा के अनुरूप स्वामी रामतीर्थ जी ने भी समाज में वेदान्त दर्शन के महान आदर्शों के साथ राष्ट्र प्रेम और अध्यात्म की अलख जगाई।

उन्होंने विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का शंखनाद किया। जो ज्ञान उन्होंने टिहरी की पवित्र भूमि में रहते हुए अर्जित किया उसके बल पर उन्होंने विदेशों में वेदांत का डंका बजाया और यह प्रतिष्ठित किया कि वैदिक दर्शन संसार के सभी दर्शनों से हर प्रकार से श्रेष्ठ और बहुत ऊंचा है।

स्वामी रामतीर्थ के व्याख्यानों से पश्चिमी जगत में भारत के प्रति सम्मान बढ़ा एवं वेदांत दर्शन के प्रति आस्था जागृत हुई। राज्यपाल ने विश्वास जताया कि स्वामी रामतीर्थ जी की जयंती राष्ट्र, समाज, संस्कृति, और मानवता के कल्याण के लिए प्रेरणा देगी।

उन्होंने कहा कि आज, विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के संकल्प की पूर्ति ऐसे महापुरुषों के तप के कारण ही सिद्ध हो रही है। हमारा देश आज चारों दिशाओं में प्रगति की ओर अग्रसर है, तो इसका श्रेय हमारे महान राष्ट्र आदर्श महापुरुषों को जाता है।

उन्होंने कहा की आज भारत हजार सालों की गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है। हमने संकल्प लिया है कि हम गुलामी की हर एक मानसिकता से बाहर निकलेंगे। पिछली सदी में हमारे पूर्वजों ने प्रत्यक्ष गुलामी से मुक्ति के लिए संघर्ष किया था और आज की हमारी पीढ़ी का कर्तव्य है कि समाज को हजार सालों से चली आ रही मानसिक गुलामी से बाहर निकालें।

जरा इसे भी पढ़े


एसएसजे विश्वविद्यालय की दो दिवसीय सेमिनार का राज्यपाल ने किया वर्चुअली उद्घाटन
राज्यपाल ने ली राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक
राज्यपाल से गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति ने की भेंट