गन्ना किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र करें सरकार : करन माहरा

Government should pay the dues of sugarcane farmers soon
करन माहरा।

Government should pay the dues of sugarcane farmers soon

देहरादून। Government should pay the dues of sugarcane farmers soon प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य की भाजपा सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि गन्ना किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र नहीं किया गया तथा किसानों की समस्याओं का एक माह में समाधान नहीं हुआ तो कांग्रेस पार्टी प्रदेशव्यापी आन्दोलन चलायेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन एवं जिलाधिकारी हरिद्वार से गन्ना किसानों का पिछला बकाया भुगतान शीघ्र करने तथा उनकी समस्याओं का समाधान करने की मांग की है।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन एवं जिलाधिकारी हरिद्वार को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने कहा कि जीवन के लिए प्राणवायु और जल के बाद तीसरे स्थान पर अन्न सर्वोपरि है।

चिन्ता का विषय है कि आज सबसे अधिक उपेक्षा देश और प्रदेश के अन्नदाता की हो रही है। किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य न मिल पाने, समय पर खाद-बीज न मिल पाने तथा बिजली की मंहगी दरों के कारण किसान लगातार कर्ज के बोझ से दबता जा रहा है।

फसल का उचित मूल्य न मिलने से किसान बैंकों का कर्जा नहीं लौटा पा रहे हैं। चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों के पिछली बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

अभी तक कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है : Karan Mahara

प्रदेश का किसान अपनी समस्याओं के समाधान को लेकर आन्दोलनरत है और अपेक्षा कर रहा है कि राज्य सरकार उनकी समस्याओं का निदान करेगी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में अभी तक कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है।

करन माहरा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में राज्य के किसानों से वादा किया था कि राज्य के किसानों की आय दुगनी की जायेगी, परन्तु इस के विपरीत किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहे हैं।

इससे पूर्व के चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनने की दशा में किसानों के ऋण माॅफ किये जाने तथा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान 15 दिन के भीतर किये जाने की घोषणा की थी, परन्तु न तो किसानों के ऋण माॅफ किये गये और न ही गन्ना किसानों का बकाया भुगतान हो पाया।

आज राज्य की भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल को भी एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के उपरान्त भी राज्य सरकार अपने इन वायदों पर अमल करने में विफल साबित हुई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा पिछली फसलों का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आया है कि प्रदेशभर में गन्ना किसानो के पिछले बकाया भुगतान हेतु राज्य सरकार द्वारा 23 करोड़ रूपये निर्गत किये गये हैं जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं।

नई फसलों की बुआई का समय सन्निकट है तथा सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण गन्ना किसान असमंजस की स्थिति में हैं। यह भी संज्ञान में आया है कि राज्य सरकार द्वारा चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने की साजिश की जा रही है जिसका कांग्रेस पार्टी कड़ा विरोध करती है।

विभिन्न जनपदों में किसानों की फसलों को भारी क्षति हुई है : Karan Mahara

करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन से यह भी अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड राज्य में विगत कई दिनों से लगातार आंधी तूफान के साथ हो रही भारी बरसात एवं ओला वृष्टि से राज्य के विभिन्न जनपदों में किसानों की फसलों को भारी क्षति हुई है।

बेमौसमी बारिस एवं ओलावृष्टि से गेहूं, मटर, आलू, सेब, आम, लीची की फसलें पूर्णतः नष्ट हो चुकी हैं। जहां एक ओर भारी बेमौसमी बरसात एवं ओलावृष्टि से मैदानी जनपदों में गेहूं, लीची व आम की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं|

वहीं पर्वतीय क्षेत्र में आडू, खुमानी, सेब के बागान तबाह हो चुके हैं। फसलों की बरबादी के चलते किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बैंकों के कर्ज से दबे किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्र के फल, सब्जी उत्पादक किसानों को दैवीय आपदा के कारण हुए नुकसान का समय पर उचित मुआबजा नहीं मिल पाया तो मौसम की यह मार उनको आर्थिक तथा मानसिक रूप से कमजोर कर देगी।

बेमौसमी बरसात के कारण किसानों पर आई इस दैवीय आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर यथाशीघ्र समुचित कदम उठाते हुए किसानों को बेमौसमी बरसात एवं ओलावृष्टि से हुई हानि का आंकलन कर नुकसान के बदले समुचित राहत राशि प्रदान की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जहां एक ओर केन्द्र व राज्य सरकार किसानों की आय दुगनी करने की बात कहती है वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में अदरक एवं हल्दी की बुआई का सीजन शुरू हो चुका है परन्तु किसानों को अदरक एवं हल्द्वी का सब्सिडी वाला बीज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादित फसलों की एमएसपी भी घोषित नहीं की गई है।

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