Government failed to provide relief
घर बहने पर 2500 रूपये देकर मजाक उड़ा रही सरकार
मृतको के परिजनों को 25 व घायलों को 10 लाख दे सरकार
देहरादून। Government failed to provide relief धराली आपदा में मृतकों के परिजनों को केवल 4 लाख व घायलों को 2 लाख का प्रावधान किया गया है जिसे बढ़ाकर कम से कम 25 लाख व 10 लाख किया जाना चाहिए। अंगभंग की हानि होने की स्थिति में मात्र 74000 रूपये व 40 से 60 प्रतिशत विकलांगता पर केवल 2.50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है जबकि 60 प्रतिशत विकलांगता पर कम से कम 15 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाय ताकि विकलांग व्यक्ति अपनी आजीविका चला सके।
यह बात मंगलवार को राजीव भवन में पत्रकार वार्ता में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कही। उन्होने कहा कि राज्य का आपदा प्रबन्धन पूरी तरह से नाकाम हो चुका है, उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां राज्य गठन के समय ही अलग से आपदा प्रबन्धन मंत्रालय है, मगर आपदाओं से निपटने के लिए अब तक कोई प्रभावी तंत्र विकसित नहीं हुआ है। उन्होने कहा कि यह भी बडी विडंबना और आश्चर्य का विषय है कि राज्य का आपदा प्रबन्धन उपनल व अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे छोड़ा गया है।
डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तरकाशी के धराली व पौडी जनपद के अनेक स्थानों पर भीषण दैवीय आपदा का दंश लोगों को झेलना पड़ा है। आपदा प्रबन्धन विभाग का कार्य स्वयं मुख्यमंत्री देख रहे हैं जिनके पास अन्य कई महत्वपूर्ण विभाग हैं। राज्य में प्रत्येक वर्ष आने वाली भीषण आपदाओं को दृष्टिगत रखते हुए आपदा प्रबन्धन विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है जिसका दायित्व किसी अन्य मंत्री को दिया जाना चाहिए था ताकि आपदा के समय इस जिम्मेदारी का सही से निर्वहन किया जा सके।
रावत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय आपदा के लिए 100 प्रतिशत बजट केन्द्र सरकार वहन करती थी जबकि वर्तमान में 90 प्रतिशत केन्द्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। वर्तमान में प्रदेश में आपदा का बजट मात्र 1012 करोड है जिसे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा धराली आपदा के लिए 40 करोड़ रूपये के बजट का आवंटन किया गया है जबकि पौडी सहित अन्य जनपदों में भी लोगों को आपदा से जूझना पड़ा है।
धराली आपदा में मृतकों के परिजनों को 4 लाख घायलों को 2 लाख गया, जिसे बढ़ाकर 25 व 10 लाख किया जाना चाहिए। डॉ. हरक ने कहा कि आपदा के कारण जिन लोगों के घर बह गये हैं उन्हें केवल 2500 रूपये देकर उनका मजाक उड़ाया रहा है। कहा कि केदारनाथ आपदा के समय तत्कालीन राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर होटल व्यवसाय, रिजार्ट, लॉज वालो के नुकसान की भरपाई के लिए उचित मुआवजे का प्रावधान किया था।
वर्तमान में भी इन व्यवसायियों को बाजार मूल्य पर मुआवजा दिया जाना चाहिए। पत्रकार वार्ता में महिला अध्यक्ष ज्योति रौतेला, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह, शीशपाल सिंह बिष्ट, सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, विरेन्द्र पोखरियाल, विनोद चौहान व एनएसयूआई अध्यक्ष विकास नेगी उपस्थित थे।
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