नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि कुरआन में भी लिखा है कि खुदा को तलाक नापसंद है। इस मामले में तर्कसंगत तरीके से सोचकर फैसला करना चाहिए।
इंद्रेश कुमार ने कहा, ऊपरवाला एक ही है, कोई उसे भगवान कहता है कोई गॉड, कोई अल्लाह, कोई खुदा तो कोई वाहे गुरु। सबने नाम अलग-अलग दिए हुए हैं लेकिन मतलब एक है। लेकिन कुछ लोग इस विषय पर विवाद करते हैं वे या तो अज्ञानी है, मूर्ख हैं, सांप्रदायिक या कट्टरपंथी हैं।
संघ परिवार से जुडेघ् सामाजिक संस्थाओं ने शुक्रवार देर शाम यहां इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में ‘वर्तमान पीढ़ी और रामायण की प्रासंगिकता’ थीम पर रामलीला मंचन रखा था। रामलीला के सभी कलाकार इंडोनेशिया से बुलाए गए थे। इनमें कई कलाकार मुस्लिम थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में इंद्रेश कुमार ने कहा, “हमें राम को आदर्श मानना चाहिए। उन्होंने दुश्मनों की आंखों में भी अपने लिए जगह बनाई। उन्होंने कहा कि राम और रावण दोनों ही वेदों के ज्ञाता थे और भगवान में विश्वास रखते थे लेकिन दोनों में एक अतंर था जिसके कारण राम की आज भी पूजा होती है और रावण को जलाया जाता है। राम धर्म के रास्ते पर चलते थे जबकि रावण ने अर्धम का रास्ता अपनाया”।
उन्होंने कहा कि राम और रावण के राज्यों की जनता खुशहाल थी, लेकिन रावण भोगवाद का समर्थक था। जबकि श्रीराम ने नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को तरजीह दी। यही कारण है कि रावण को पराजय झेलनी पघ्ी और श्रीराम पूजे जाते हैं। इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं और भोगवाद में विश्वास नहीं रखते, वे अमर हो जाते हैं। तीन तलाक के मामले पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरा विश्व महिलाओं की बेहतरी की बात कर रहा है। सबका प्रयास है कि महिलाओं को पूरी आजादी और अवसर मिले। कुरआन में भी ऐसा लिखा हुआ है कि खुदा को तलाक नापसंद है। इसलिए इस मामले में धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर सोचने और निर्णय लेने की जरूरत है। कार्यक्रम में वीडियो संदेश के माध्यम से केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, “ राम की पूजा केवल भारत में ही नहीं बल्कि कई दूसरे देशों में भी होती है जहां लोग लोग रामायण के आर्दशों को मानते हैं। राम का जीवन अपने आप में आर्दश है। उनके जीवन से सीखने को मिलता है कि एक बेटे को अपने माता-पिता की पूजा करनी चाहिए, एक पति को अपनी पत्नी के साथ कैसा व्वयहार करना चाहिए, एक राजा को कैसे अपनी प्रजा का ध्यान रखना चाहिए”। कार्यक्रम में मौजूद इंडिया पफाउंडेशन के निदेशक शौर्य डोवाल ने कहा कि रामायण आज की नई पीढ़ी के लिए प्रासंगिक है। यह हमें दर्शाती है कि व्यत्तिफ, देश व समाज का मूल्य कैसा होना चाहिए।