गया जमाना बढ़ा सोचना जो याद आओं तो लौट आना
वो आंखो आंखो में बात करना
वो बातों बातों में रात करना
हांसी चुपाने को लब के आगे हसीन कोमल से हाथ
करना कभी हंसना कभी रोना
ये बात तूम भी कभी तो समझो हमारी चुप मैं भी गुफ्तगु
हैं, मंशा समझ सको तो हमें बताना जो याद आओ तो लौट आना
जवाले सब में
सितारेां ने साथ छोड़ दिया
सब चली तो चिरागों ने
साथ छोड़ दिया।
मिला जो मौका मुझे उनसे
बात करने का
मेरे नसीब के लफ्जों ने
साथ छोड़ दिया।
वह रूबरू थी मगर
उसको देखते कैसे
वह रंग व नूर थी
आंखो ने साथ छोड़ दिया।।