शायरी : गया जमाना बढ़ा सोचना जो याद आओं तो लौट आना

gaya jamana

गया जमाना बढ़ा सोचना जो याद आओं तो लौट आना
वो आंखो आंखो में बात करना
वो बातों बातों में रात करना
हांसी चुपाने को लब के आगे हसीन कोमल से हाथ
करना कभी हंसना कभी रोना
ये बात तूम भी कभी तो समझो हमारी चुप मैं भी गुफ्तगु
हैं, मंशा समझ सको तो हमें बताना जो याद आओ तो लौट आना


जवाले सब में
सितारेां ने साथ छोड़ दिया
सब चली तो चिरागों ने
साथ छोड़ दिया।
मिला जो मौका मुझे उनसे
बात करने का
मेरे नसीब के लफ्जों ने
साथ छोड़ दिया।
वह रूबरू थी मगर
उसको देखते कैसे
वह रंग व नूर थी
आंखो ने साथ छोड़ दिया।।

sad shayari : मुझे माफ कर मेरे हमसफर तुझे चाहना मेरी भूल थी