अपनी आवाज का जादू बिखेर रहा है विपिन

Folk singer Vipin Panwar
लोक गायक विपिन पंवार।
अपनी आवाज का जादू बिखेर रहा है Folk singer Vipin Panwar

जल्द बाजार में आने वाली है नई गढ़वाली अलबम

Folk singer Vipin Panwar ने पहाड़ के लोकगीत-संगीत के संरक्षण का उठाया है बीड़ा

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के लोक जीवन में अलग की ताल और लय है, जिसकी छाप यहां के लोकगीत में साफ तौर पर परिलक्षित होती है। यहां के लोकगीत केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि लोक जीवन के अच्छे-बुरे अनुभवों एवं उनसे सीखने की प्रेरणा भी देते हैं।

हालांकि आधुनिक परिवेश के समयचक्र में पहाड़ों में बहुत सारे लोकगीत विलुप्त हो गये हैं। लेकिन बचे हुए लोकगीतों की अपनी पहचान है। यह कहना है उभरते हुये लोक गायक विपिन पंवार का। विपिन पिछले कई सालों से गढ़वाली लोक-संगीत पर काम कर रहे हैं। जल्द ही उनकी नई अलबम बाजार में आने वाली है।

रुद्रप्रयाग शहर निवासी लोक गायक विपिन पंवार स्थानीय स्तर पर कई स्थानों पर अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके हैं। तीन माह में उनके गाने ‘ताल घर की सरू‘ को यू ट्यूब पर साठ हजार से अधिक लोग देख चुके हैं। ‘तेरू प्यारू हसड़’ को सिर्फ एक माह में पचास हजार से अधिक व्यूज मिल गये हैं।

बचपन से ही Vipin Panwar को गढ़वाली गाना गाने का शौक था

इसके अलावा ‘सोबनी सरकार’, ‘मेरू पहाड’, ‘हाथों में हाथ’ आदि गाने भी खूब सराहे गये। विपिन की नई अलबम जल्द मार्केट में आने वाली है। जिसमें ‘उत्तराखंड की भूमि मां’, ‘बसंती होरी’, ‘काॅलेज की शारदा’, ‘तेरा सुपिन्या’ आदि गाने मुख्य हैं।

विपिन कहते हैं कि बचपन से ही उन्हें गढ़वाली गाना गाने का शौक था। धीरे-धीरे उन्होंने लोकगीत-संगीत में कदम रखा। उन्होंने बताया कि वह नोएडा के किसी प्रतिश्ठित होटल में मैनेजर भी हैं। साथ ही पहाड़ के प्रति लगाव के कारण ही वह लोक संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड में हजारों सालों से लोकगीत-नृत्य संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

हर छोटे-बड़े शुभ मौकों की शुरूआत लोक गीत और संगीत से ही होती है। हमें अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए काम करना होगा। यहां की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने में यहां के संगीत और वाद्ययंत्रों का मुख्य योगदान है। वाद्ययंत्रों के साथ ही लोकगीत गाये जाते हैं।

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