अपने लीवर को इस तरह रखें Fatty liver disease से सुरक्षित, नहीं तो भुगतने पड़ सकते है गंभीर परिणाम
आजकल नई-नई बीमारियों के चलते कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना बहुत आम बात है और इससे कई बीमारियों को भी जन्म मिलता है, फैटी लिवर भी उन बीमारियों में से एक है। फैटी लीवर डिजीज (Fatty liver disease) यानी यकृत की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में वसा उत्पन्न होने की स्थिति में होता है। यह बीमारी 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
लिवर में वसा की मात्रा होना सामान्य बात है, लेकिन जब वसा की मात्रा लीवर के कुल भार के 10% से अधिक हो जाती है तो किसी व्यक्ति को लीवर की समस्या की परेशानी हो जाती है। कभी-कभी वसा की अधिक मात्रा से लीवर सूख जाता है, इस स्थिति का नाम स्टीएटोहेपेटाइटिस होता है। स्टीएटोहेपेटाइटिस, यह अल्कोहल शराब की अधिकता से होता है तो इसे अल्कोहलिक स्टीएटोहेपेटाइटिस कहते हैं, अन्यथा इसे नॉन अल्कोहलिक स्टीएटोहेपेटाइटिस कहते हैं।
इसके लिये करवाए ये जांचें
1- रक्त परीक्षण करवाएं ,
2-फाइब्रोस्कैन करवाएं ,
3-अल्ट्रासाउंड ,
4-सीटी –स्कैन,
5-एमआरआई करवाएं ,
6- लीवर की बायोप्सी करवाएं
यह है फैटी लिवर (Fatty liver disease) के लक्षण
फैटी लीवर डिजीज की समस्या जब तक गंभीर नहीं हो जाती, तब तक इस समस्या के अक्सर कोई लक्षण प्रकट नहीं होते, लेकिन जब यह समस्या गंभीर हो जाती है , तब धीरे-धीरे लक्षण प्रकट होते हैं। पेट के ऊपरी भाग में दर्द, थकावट महसूस होना, वजन में गिरावट, त्वचा पर कालापन होना, लीवर के आकार का बड़ा बनना , जी मचलाना और अत्यधिक पसीना आना।
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Fatty liver disease रोग के कारण
अस्वास्थ्य खानपान, वजन का अधिक बढ़ना या मोटापा, शराब का नियमित सेवन, डायबिटीज और कुपोषण के कारण, फैटी लीवर की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिस से कई परेशानियों से रोगी को गुजरना पड़ता है|
आहार में मिले यह चीजें
साबुत अनाज, सब्जियां, फलियां, डेयरी उत्पाद, स्वास्थ्यवर्धक वसा, लीन मीट और अंडे को खानपान में शामिल किया जा सकता है जिससे काफी राहत मिल सकती है |
इन चीजों से करें परहेज
शक्कर युक्त खाद्य पदार्थ, सोडा, सोडा युक्त सॉफ्ट ड्रिंक, संतृप्त वसा जैसे देसी घी और शराब से परहेज करना चाहिए।