Fake appointment letter of secretariat
देहरादून। उत्तराखण्ड सचिवालय में संविदा पर काम कर चुका कोटद्वार का एक युवक इतना शातिर निकला कि उसने सचिवालय में नौकरी दिलाने के लिए आधा दर्जन युवकों से साठ-साठ हजार रूपये लेकर उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया और युवक जब नियुक्ति पत्र लेकर सचिवालय आये तो सुरक्षाकर्मी हैरान हो गये कि यह नियुक्ति पत्र फर्जी ( Fake appointment letter )हैं। जिस पर सचिवालय के बाहर खडे जालसाज को अन्दर बुलाया गया और उससे सुरक्षाकर्मियों ने पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि उसने युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर हजारों रूपये वसूले हैं।
उत्तराखंड सचिवालय में पैसे लेकर फर्जी सिग्नेचर और कागजातों के आधार पर नियुक्ति दिलाने का मामला सामने आया है हैरानी की बात यह है कि पकड़े गए आरोपी को महज आधा घंटे की पूछताछ के बाद सचिवालय सुरक्षा प्रशासन ने छोड़ दिया जबकि वह चीख चीख कर कह रहा था कि हां उसने पांच-छह युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लिये थे। आरोपी संदीप 10 तक सचिवालय में संविदा पर कार्य कर चुका है लिहाजा उसे मालूम है कि किसके हस्ताक्षर कैसे होते है। दरअसल यह मामला तब उजागर हुआ जब संदीप नाम के व्यक्ति ने डोईवाला में रहने वाले पांच युवकों को सचिवालय में संविदा पर नौकरी लगवाने का वादा किया और उसके बाद आज सभी को फर्जी हस्ताक्षर करके नियुक्ति पत्र ( Fake appointment letter ) भी जारी कर दी है ।
सचिवालय के अधिकारियों ने गलती मान ली
सचिवालय के अधिकारियों ने गलती मान ली है और सभी आरोपियों के पैसे वापस करने के लिए कहा है सचिवालय सुरक्षा अधिकारी जीवन सिंह बिष्ट का कहना है कि पूछताछ करके ओर कुछ आईडी पेपर लेकर फिलहाल उसे छोड़ा गया है लिहाजा जरूरत पड़ने पर उसे फिर बुलाया जाएगा जबकि ये मामला सीधे सीधे राज्य की सर्वोच्च कार्यदायी संस्था में सचिवालय से जुड़ा है और कैसे सचिवालय प्रशासन ने आरोपी को जाने दिया। सवाल यह उठता है कि जब जालसाज ने खुद स्वीकार किया कि उसने यह गलती की है तो फिर सचिवालय प्रशासन ने संदीप को कैसे छोड दिया।
प्रशासन ने संदीप को अगर पुलिस के हवाले किया होता तो खुलासा हो जाता कि इस साजिश में उसके साथ और कौन-कौन लोग शामिल थे। जालसाज ने 48 घंटे के भीतर युवकों का पैसा वापस करने का वादा किया तो सचिवालय प्रशासन ने जालसाज को पुलिस के हवाले करने के बजाए उसे आजाद कर दिया जिससे यह मामला एक बडी साजिश दिखाई दे रहा है और इसमें सचिवालय के कुछ छोटे व बडे अफसर भी शामिल हो सकते हैं जिसको देखते हुए मुख्यसचिव ने भी इस मामले को गंभीर माना है और दावा किया है कि इसकी जांच कराई जा रही है कि इसमें सचिवालय का कोई अधिकारी या कर्मचारी शामिल तो नहीं है।