Excise Department pleased on liquor contractors
देहरादून। Excise Department pleased on liquor contractors उत्तराखंड सरकार के सबसे कमाऊ विभाग आबकारी के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते जनपद देहरादून मे खुली 94 शराब की दुकानों के ठेकेदार सरकार को अधिभार से मिलने वाले करोड़ों रुपए दबाकर बैठे हुए हैं।
इसके बावजूद भी यह ठेके खुलेआम चल रहे हैं। जिसके कारण सरकार की माली हालत खराब चल रही है। आबकारी विभाग के अधिकारियों के अनुसार देहरादून जनपद में देशी व अंग्रेजी शराब की 94 दुकानें खुली है। जिनसे नियमानुसार 31 जुलाई तक सरकार को मिलने वाला करोड़ों रुपए का अधिभार जमा हो जाना चाहिए। लेकिन कुछ शराब के ठेकेदारों ने अभी तक भी अधिभार जमा नहीं किया है।
ठेकेदारों के अधिभार जमा ना किए जाने की स्थिति में तत्काल आबकारी विभाग को शराब की दुकान बंद करवा देनी चाहिए। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अभी तक ना तो कोई दुकान बंद की गई है और ना ही सरकार को करोड़ों रुपए का मिलने वाला राजस्व ही प्राप्त नहीं हुआ है। जिससे सरकार को भी माली हालत के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
कई विभागों के कर्मचारियों को तनख्वाह तक भी नहीं मिल पा रही
इसके कारण कई विभागों के कर्मचारियों को तनख्वाह तक भी नहीं मिल पा रही है और सरकार को बैंकों से ऋण लेकर वेतन देना पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार यह अधिभार 31 जुलाई तक जमा हो जाना था। अगस्त माह का भी एक पखवाड़े बीत गया है। लेकिन ठेकेदार यह अधिभार जमा नहीं कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें आबकारी विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।
गत वर्ष भी आबकारी विभाग ने फर्जी गांरटी से ठेके आवंटित कर दिए थे जिसके कारण सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। ओर आबकारी सचिव को चार जिला आबकारी अधिकारी को निलंबित किया गया था। जिसके बाद उन्होंने हाइकोर्ट से स्टे ले लिया था। जब से वो ही विवादित अधिकारी इन जिलों में तैनात है। और उन्हीं की मिली भगत से शराब के ठेकेदार विभाग को अधिकार जमा नहीं करा रहे हैं।
निलंबित होने वाले आबकारी अधिकारियों में देहरादून के आबकारी अधिकारी भी शामिल थे। जिले के आबकारी अधिकारी मनोज उपाध्याय से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि जिन दुकानदारों द्वारा अधिभार जमा नहीं किया गया है। उनके विरुध विभागीय कार्यवाही के चलते नोटिस काट दिए गए हैं। और उन्हें चेतावनी दी है कि वह उक्त अधिभार को तत्काल जमा करवा दें ।
नियमानुसार यह अधिभार हर महीने जमा किया जाता है
अधिभार जमा ना होने की स्थिति में उनकी दुकानों को बंद करवा दिया जाएगा। मनोज उपाध्याय का यह भी कहना है नियमानुसार यह अधिभार हर महीने जमा किया जाता है लेकिन समय पर दुकान के ठेकेदारों द्वारा जमा न किये जाने के बाद उनसे ब्याज लिए जाने का प्राविधान भी है।
लेकिन उसके बावजूद भी ठेकेदार अपनी सुविधानुसार इस अधिकार को जमा करवाते हैं जबकि सूत्र बताते हैं की वर्ष 2017 का ठेकेदारों पर 3 करोड़ से अधिक ब्याज का बकाया चल रहा है। जिसे विभाग वसूल नहीं कर पाया है। जिससे सरकार को हर वर्ष शराब के कारण मिलने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है लेकिन संबंधित विभाग नोटिस की कार्रवाई कर मात्र खानापूर्ति कर अपने काम की इतिश्री कर रहा है।