आबकारी सिपाही को लेकर विभाग और जनता आमने-सामने

Excise Department and public face to face

Excise Department and public face to face

बीजेपी-कांग्रेस नेता भी हैं एक मत
छापे से पहले लीक हो जाती है सूचना

कोटद्वार। Excise Department and public face to face उत्तराखंड और शराब का रिश्ता बड़ा पेचीदा है। राज्य की महिलाएं शराब के खिलाफ आंदोलन करती रही हैं और सरकारें पैसा कमाने के लिए शराब बेचने के नए-नए तरीके निकालती रही हैं भले ही इसमें जनता की नाराजगी ही क्यों न मोल लेनी पड़े।

शराब और समाज के रिश्ते का एक पेचीदा मामला कोटद्वार से भी सामने आया है। यहां आबकारी विभाग के एक सिपाही के खिलाफ स्थानीय निवासियों के अलावा पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी-कांग्रेस नेता भी लामबंद हो रहे हैं लेकिन विभाग अपने इस सिपाही के पीछे मजबूती से खड़ा है।

आबकारी विभाग का कहना है कि सारी शिकायतें निराधार हैं हालांकि स्थानीय निवासी भी हार मानने को तैयार नहीं हैं।कोटद्वार में 2014 से तैनात आबकारी विभाग के एक सिपाही के खिलाफ एक से ज्यादा बार शिकायत हो चुकी है कि वह अवैध शराब का कारोबार करने वालों से मिला हुआ है। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों को कई बार, कई स्तर पर शिकायत किए जाने के बावजूद इस सिपाही के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ताजा शिकायत दुर्गापुरी इलाके के रहने वाले एक्स सर्विसमैन सुरेंद्र ध्यानी ने की थी। ध्यानी कहते हैं कि अवैध शराब की बिक्री के खिलाफ उन्होंने कई बार आबकारी विभाग से शिकायत की है। दिखाने को विभाग छापेमारी भी करता है लेकिन छापा पड़ने से पहले ही अवैध शराब बेचने वालों को सूचना मिल जाती है।

लंबे समय से टिके सिपाहियों को हटाने की मांग की

वह पूछते हैं कि क्या आबकारी सिपाही की मिलीभगत के बिना यह संभव है? कमाल की बात यह है कि नगर-निगम से लेकर प्रदेश सरकार तक हर मामले में एक-दूसरे का विरोध करने वाले भाजपा और कांग्रेस नेता भी इस मामले में एकमत नजर आ रहे हैं।

भाजपा पार्षद सौरभ नौटियाल जिला आबकारी अधिकारी को लिखित शिकायत कर वार्ड में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं। भाजपा पार्षद ने जिला आबकारी अधिकारी को की शिकायत में अवैध शराब बेचने वालों से आबकारी के सिपाहियों की संलिप्तता का आरोप लगाया है और लंबे समय से कोटद्वार में टिके सिपाहियों को हटाने की मांग की है।

यूथ कांग्रेस नेता प्रवेश रावत कहते हैं, आबकारी विभाग के अधिकारी शराब माफियाओं से हर महीने रिश्वत लेते हैं और उनके सिपाही भी अवैध शराब बेचने वालों से अच्छे खासे पैसे लेते है। इन्हीं की शह में खुलेआम जगह-जगह अवैध शराब बिक रही है।

प्रवेश रावत कहते हैं, कई सिपाही हैं जो लंबे समय से कोटद्वार में तैनात हैं। ऐसे सिपाहियों की शराब माफियाओं से लेकर हर छोटे बड़े शराब बेचने वालों से सेंटिंग बनी हुई है। सिपाहियों की मिलीभगत का नतीजा है कि आबकारी इंस्पेक्टर जब भी छापेमारी की योजना बनाते हैं तो उससे पहले ही इसकी सूचना अवैध शराब बेचने वालों को मिल जाती है।

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