16 साल बाद भी उत्तराखंड में कायम है यूपी राज

time witness

ट्रिप्पल इंजन होने के बावजूद गेयर बाक्स में प्राबलम

देहरादून, बीएचबीसी न्यूज । उत्तराखण्ड और उप्र प्रदेश में वर्तमान में भाजपा का शासन है। उपर से केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है। सत्ता पर काबिज होने के बाद दोनो ही राज्यों के मुखिया अपने एक माह के कार्यकाल के दौरान हाल ही में उप्र और उत्तराखण्ड के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर मुलाकात कर चुके है। जिसका अभी कोई नतीजा सामने नही आया है। यहां यह कहना उचित होगा कि केन्द्र उप्र व उत्तराखण्ड भाजपा सरकार के पास ट्रिपल इंजन तो है किन्तु अब भी तकनीकि तौर पर गेयर बाक्स की प्राबलम सामने आ रही है।

राज्य गठन के 16 वर्ष बीत चुके है।  लेकिन राज्य गठन के 16 साल बाद भी उत्तराखंड की सरजमीं पर उत्तरप्रदेश का हुक्म बदस्तूर चल रहा है। दरअसल आधा दर्जन विभागों की सूबे में मौजूद 10 हजार करोड़ की परिसम्पत्तियों का बंटवारा आज तक नहीं हो पाया है। अब जब उत्तराखंड के साथ ही यूपी में भी भाजपा सरकार है तो क्या अब उत्तराखंड को अपना हक मिल सकेगा और देवभूमि में चल रहे यूपी राज से मुक्ति मिलेगी। राज्य गठन के बाद सबसे पहले अंतरिम सरकार में नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री बने। पहले विधानसभा चुनाव के बाद नारायण दत्त तिवारी ने पूरे पांच साल उत्तराखंड की बागड़ोर संभाली। उनके बाद रिटायर्ड मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक की बारी आई। फिर जज रह चुके विजय बहुगुणा और खांटी जमीनी नेता हरीश रावत उत्तराखंड के मुखिया रहे। इस बार प्रचंड बहुमत के साथ त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूबे की बागडोर संभाली है। यानि देखते ही देखते 16 साल के उत्तराखंड ने मुख्यमंत्रियों को बनते और हटते देखा है।

इसके बावजूद आज भी ये बात परेशान करने वाली है कि उत्तराखंड के सीमा क्षेत्र में मौजूद परिसम्पत्तियों पर उसके पितृ राज्य यूपी का हुक्म चलता है। वजह ये है कि राज्य गठन के बाद अभी तक दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों के बंटवारे का विवाद सुलझ नहीं पाया है, जिसकी वजह ये कि केंद्र, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में एक दल की सरकारें नहीं रहीं थी। वर्तमान में डबल नहीं बल्कि ट्रिपल इंजन की ताकत है। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार और अपने उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार है। उम्मीद करना तो बनता ही है कि उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के बीच 10 हजार करोड़ से ज्यादा परिसंपत्तियों पर चले आ रहे विवाद का कोई हल निकलेगा। अभी हाल में हुई उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के बीच हुई वार्ता में परिसत्तियों कें बंटवारे का कोई हल नही निकाला। उत्तराखण्ड के सीएम वहां से मात्र कोरा आश्वासन लेकर लौटे।