भारत जगत गुरु फिर भी टॉप 200 में नहीं

Education System
Education System : भारत जगत गुरु फिर भी टॉप 200 में नहीं

Education System विकास के क्षेत्र में सूचना का सबसे अधिक महत्व होता है। बिना सूचना के किसी भी क्षेत्र में विकास का अभाव होता है। कहां, किसे, क्या आवश्यकता है? कितनी आवश्यकता है? कैसे उसकी पूर्ति की जाए, किन-किन बातों का जानना जरूरी है, कौन-कौन से सामान अथवा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है? यह सभी कुछ सूचना के माध्यम से ही सोचा और समझा जा सकता है एक साथ इकठ्ठा होकर।

यही सब कारण है कि जो हमने विकास की दिशा में ले जाते है, समय सूचना के महत्व को बताते हैं। सूचना का विस्तार उसी प्रक्रिया का नाम है, जो लोगों को सभी आवश्यक सूचना देकर विकास को गति प्रदान करती है। अफसोस कि भारत जैसे विकासशील देश में विज्ञान और तकनीक का बहुत अभाव है  और इसके प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था है।

काफी हद तक काम हो रहा है लेकिन बहुत धीमी चाल में तब कहा जाता है कि हमारा देश जगत गुरु है। सोचने वाली बात है कि भारत के जगत गुरु होने के बावजूद इसकी एक भी युनिवर्सिटी का नाम दुनिया की टॉप 200 युनिवर्सिटी में नही आया। शिक्षा को लेकर इतनी ब्यानबाजी दी जाती है। जनता को सरकार से पूछना चाहिए कि शिक्षा पर कितना खर्च किया जाता है?



सरकार ने शिक्षा पर जीडीपी का 3.1% व्यय किया था

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 6 साल पहले यानी 2012 -2013 में सरकार ने शिक्षा ( Education System ) पर जीडीपी का 3.1% व्यय किया था जो घटकर 2016- 17 में 2.6 पहुंच गया। तब कहा जाता है “पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया”। इंडिया तब बढ़ेगा जब सारी सुविधाएँ दी जायेंगी और  प्रशिक्षण व शिक्षण में खर्च किया जायेगा। केवल बाते करने से डिजिटल इंडिया नही बनेगा। हमारे देश के गाँवों की हालत तो बहुत खस्ता है जहां दुनिया में तकनीक अपने पैर पसार रही है।

वहीं अपने देश के गाँवों में बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से वंचित हैं, ऐसे में तकनीकी प्रशिक्षण की बात करना तो फिजूल है। गाँवों को विकसित करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विकास को सबसे अधिक महत्व दिया था। उनका कहना था कि जब तक ग्रामीण अंचलों की हस्तकला को बढ़ाकर व कुटीर उद्योगों का जाल नहीं बिछाया जाता, तब तक ग्रामीण क्षेत्रों का चहुमुखी विकास असंभव है।




भारत केवल शायरियों का देश नहीं है, बल्कि असली भारत तो गांव में बसता है, इसलिए जब तक ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास नहीं हो जाता, उस समय तक देश निर्माण की बात कोरी नारेबाजी ही कहलाएगी। गांव की ओर से आंखें बंद करके देश का भला नहीं किया जा सकता। आवश्यकता है कि विकास की रोशनी को गांव तक पहुंचाएं जिससे वहां के  लोग भी एक अच्छी जिंदगी जीने की हकदार बने।

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