Dharali was devastated by avalanche
दून लाइब्रेरी में ‘खबरसार’ के दूसरे संस्करण में आपदाओं के कारण और पंचायत चुनाव में अनियमितता पर चर्चा
देहरादून। Dharali was devastated by avalanche धराली की तबाही का कारण बादल फटना नहीं था, बल्कि इसकी वजह एवलांच था। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और एवलांच का खतरा बढ़ रहा है। एवलांच के रास्ते में बसावटें न हों, यह जिम्मेदारी सरकार की है। लेकिन, सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। सरकार ने वैज्ञानिकों के सुझावों की तरफ ध्यान दिया होता तो धराली में जान-माल का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।
जाने-माने पर्यावरणविद् और जन वैज्ञानिक डॉ. रवि चोपड़ा ने दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में आयोजित मासिक खबरपात कार्यक्रम में दूसरे संस्करण में मुख्य वक्ता के रूप में यह बात कही। इस संस्करण में दो विषयों – आपदाएं: कारण तथा निवारण और पंचायत चुनावों में अनियमितताएं, पर चर्चा हुई। पंचायत चुनावों में अनियमिताओं पर कार्यक्रम के संचालक त्रिलोचन भट्ट ने ग्राउंड रिपोर्ट प्रस्तुत की।
मुख्य विषय आपदाएं कारण और निवारण पर बोलते हुए डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि हर्षिल और धराली ऐसी जगहों पर बसे हुए हैं, जिनके ऊपर पांच ग्लेशियर हैं। पहले भी लगातार इन क्षेत्रों में एवलांच आते रहे हैं। पहले इन एवलांच के रास्ते में बसावटें नहीं थी, इसलिए जानमाल का नुकसान नहीं होता था या बहुत कम होता था, लेकिन अब इनके रास्ते में कई बसावटें हैं।
उन्होंने कहा कि चार धाम सड़क परियोजना के पर्यावरणीय आकलन के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी टीम के साथ इस पूरे इलाके का गहनता से अध्ययन किया था। उन्होंने सुखी टॉप के नीचे भागीरथी के किनारे 11 किमी सड़क को एलिवेटेड रोड बनाने का सुझाव दिया था। केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रियों को भी समझाया था कि यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। भैंरोघाटी के देवदार के जंगल के कारण यह क्षेत्र बचा हुआ है। इस जंगल की क्षेत्र में धार्मिक मान्यता भी है। इसलिए पेड़ न काटे जाएं।
एक सवाल में जवाब में उन्होंने कहा कि बेशक अभी इस क्षेत्र में सड़क का चौड़ीकरण नहीं किया गया था, लेकिन धराली जैसी जगहों पर सड़क चौड़ीकरण का बात शुरू होते ही लोगों ने बड़े-बड़े होटल और दूसरे निर्माण पुराने मलबे में ही कर दिये, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी जगहों पर निर्माण कार्य रोकने चाहिए। लोगों को सुरक्षित जगहों पर इस तरह के निर्माण करने के लिए जगह देनी चाहिए। उन्होंने बाद में लोगों के सवालों के जवाब भी दिये। जो मुख्यरूप से ग्लोबल वार्मिंग, धराली-हर्षिल आपदा और ग्लेशियर्स के कारण होने वाले खतरों से जुड़े हुए थे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में अनियमितताओं पर त्रिलोचन भट्ट ने स्लाइड शो के जरिये अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में राज्य चुनाव आयोग के स्तर पर, उम्मीदवारों के स्तर पर और अंत में मतदाताओं के स्तर पर भी अनियमितताएं बरती गई। जिला और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के लिए हाल में हो रही कथित खरीद-फरोख्त को उन्होंने लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
इस मौके पर दून लाइब्रेरी के चंद्रशेखर तिवारी, विजय भट्ट, परमजीत कक्कड़, राघवेन्द्र, मुकेश प्रसाद बहुगुणा, राकेश अग्रवाल, विपिन चौहान, वाई एस नेगी, आर्किटेक्ट एसके दास, छवि मिश्रा आदि मौजूद थे।
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