वर्षों पुरानी मजार पर चला धामी का बुलडोजर

Dhami bulldozer ran on the years old tomb

देहरादून। Dhami bulldozer ran on the years old tomb उत्तराखंड सरकार की और से लगातार मजारों को हटाने का सिलसिला जारी है। देर रात देहरादून की चर्चित और दून अस्पताल के बाहर बनी मजार को गिरा दिया गया। यह मजार दून अस्पताल के गेट पर बनी हुई थी। बताया जाता है कि ऋषिकेश पंकज गुप्ता नामी व्यक्ति ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर इस मजार की शिकायत कर जांच करने की मांग की थी, जांच करने के बाद मजार के दस्तावेज नही होने का दावा जिला प्रशासन की और से किया जा रहा है, वहीं, वक्फ बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, यह मजार 1980 से डीएम सर्वे के आधार पर वक्फ बोर्ड में दर्ज है, जिसको बाबा कमाल शाह के नाम से 55 नम्बर पर दर्ज किया गया है।

वहीं, देहरादून प्रशासन का कहना है कि इस मजार को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करके बनाना पाया गया है। शिकायत के बाद नगर प्रशासन की और से संरचना के भूमि संबंधी दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश दिए गए। राजस्व, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, दून अस्पताल प्रशासन और अन्य विभागों ने इस बारे में जांच की।

Dhami bulldozer ran on the years old tomb

देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि इस मजार के बारे में बारीकी से जांच की गई, साथ ही दून अस्पताल प्रशासन से इस बारे में आख्या मांगी गई, इसके बाद यहां के खादिम को नोटिस जारी किया गया, कोई दस्तावेज ना होने से मजार को हटाया गया है। देर रात नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, दून अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने मिलकर उक्त मजार के ध्वस्तीकरण का काम पूरा किया।

राज्य सरकार ने उत्तराखंड में मजारों और मदरसों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है। अब तक उत्तराखंड में 500 से अधिक मजारों पर बुलडोजर चलाया जा चुका है, इसके साथ ही 170 से ज्यादा मदरसे सील किए जा चुके हैं। यही नहीं राज्य में 50 से ज्यादा मंदिर भी हटाए जा चुके हैं। 22 अप्रैल को उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण में बाधा बन रही मजार हटाई गई थी। इस मजार को लेकर पहले से ही हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है।

शहर काज़ी मौलाना मुहम्मद अहमद कासमी के नेतृत्व में मुस्लिम सेवा संगठन के एक प्रतिनिधिमण्डल ने उपजिलाधिकारी देहरादून से मुलाक़ात कर कल रात दून अस्पताल के बाहर प्राचीन मज़ार तो तोड़ने को लेकर विरोध दर्ज कराया। संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहाँ प्राचीन मज़ार वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति हैं, जो वक़्फ़ बोर्ड मंे दर्ज हैं, उसके बावजूद प्रशासन की और से रात को चोरो की तरह बिना किसी को बताएं तोड़ दिया गया जो बहुत ही निंदनीय हैं। मुस्लिम सेवा संगठन जल्द इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खड़खड़ाएगा। प्रतिनधिमण्डल में समाज सेवी लताफत हुसैन व कमर ख़ान आदि उपस्थित रहे।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि दून अस्पताल परिसर में स्थित मजार को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया है, इसको लेकर कांग्रेस पार्टी का यही कहना है कि अवैध निर्माण के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को लेकर पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है, मगर केंद्र और राज्य सरकार का एजेंडा सिर्फ मजारों और मदरसों पर कार्रवाई तक ही सीमित रह गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा किसी न किसी बहाने समाज में नफरत फैलाने तक ही रह गई है। सरकार का काम हिंदू-मुसलमान का नैरेटिव सेट करना रह गया है।

कहा कि अगर दून अस्पताल की मजार अवैध थी तो इसका जवाब उत्तराखंड का वक्फ बोर्ड देता, क्योंकि बोर्ड उस मजार का संचालन कर रहा था। जब से उत्तराखंड का गठन हुआ है, तब से उस मजार का तमाम मैनेजमेंट उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अधीन था। राज्य गठन से पहले इस मजार का संचालन उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड किया करता था, यह मजार अवैध थी या फिर नहीं थी, इसका जवाब वक्फ बोर्ड ही दे सकता था।

देहरादून। अत्तराखण्ड आर कॉंसिल की पूर्व चेयरमैन व वरिष्ठ अधिवक्ता रजिया बैग ने कहा कि यहा वर्षों से मजार थी, जिसे बिना कोई कानूनी नोटिस दिऐ तोड़ दिया गया है। आस्था के आधार पर राम मंदिर का फैसला दिया गया, क्या हमारी कोई आस्था नही है। देश भर में मुसलमानों को समाप्त करने की साजिश की जा रही है। जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। इस मामले में कोर्ट में जाएंगे।

अवैध कब्जाधारी का अतिक्रमण तोड़ा
नकली पनीर बनाने के अवैध कारखाने का भंडाफोड़
भारी विरोध व पथराव के बावजूद हटाया अतिक्रमण