चारधाम परियोजना से हिमालय के पर्यावरण व देश की जनता के साथ खिलवाड़

Chardham Project
Chardham Project से हिमालय के पर्यावरण व देश की जनता के साथ खिलवाड़

देहरादून। अनेक सामाजिक संगठन केन्द्र सरकार की चार धाम परियोजना ( Chardham Project ) आॅल वेदर रोड़ के विरोध में सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। अगस्त्य पर्यावरण मित्र समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि हवा एवं पानी के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा। उनका कहना है कि चारधाम परियोजना से हिमालय के पर्यावरण व देश की जनता के साथ खिलवाड किया जा रहा है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि चार धाम परियोजना आॅल वेदर रोड के विरोध में सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। अगस्त्य पर्यावरण मित्र समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि हवा एवं पानी के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा। आज पृथ्वी को बचाये रखने की आवश्यकता है और इसके लिए सभी को एकजुटता का परिचय देते हुए आगे आना होगा।

Chardham Project
पत्रकार वार्ता करते सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी।

वर्ष 2013 की आपदा के बाद चारधाम सडकों के जर्जर हुए हालात से सभी परिचित है और इस दौरान राजमार्ग पर दर्जनों भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय होकर डेंजर जोन तैयार हो गये है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान व जीएसआई की रिपोर्ट सहित तमाम विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि हिमालय की इन संवेदनशील घाटियों की धारण क्षमता के अंतर्गत यहा विकास का रूप होना चाहिए, अनियंत्रित और अनियोजित विकास को आपदा के लिए एक सुर में सबने जिम्मेदार ठहराया। कि Chardham Project के नाम से कोई भी प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय के पास नहीं आया है।

तीस तीस मीटर तक पहाड काटे जा रहे

तीस तीस मीटर तक पहाड काटे जा रहे है। पहाडी ढलानों का ऐसा भारी कटान उन्हें अस्थिर कर भूस्खलन पैदा करेगा और हजारों पेडों का निर्मम कटान हो चुका है और सैकडों हैक्टेयर वन भूमि नष्ट हो गई है। इस अवसर पर सुशीला भंडारी ने कहा कि खेती, जंगलों, पानी के स्त्रोतों, वन्य जीवों, जानवरों के चारा चुगान जैसे हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दुष्प्रभाव पड रहा है और यदि ऐसी अंधाधुंध परियोजनाओं को यहां बढावा मिला तो पूरे क्षेत्र की संस्कृति और पहचान ही धीरे धीरे बदल जायेगी।




आज हिमालय को बचाये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए सभी को एकजुटता का परिचय देते हुए आगे आने की आवश्यकता है। पूरे देश को जीवन देने वाली इन घाटियों के पर्यावरण और संसाधनों को भविष्य की पीढी के लिए भी संजो कर रख सके। इस अवसर पर हिमांशु अरोडा, केशर सिंह रावत, जे पी मैठाणी, रवि चोपडा, ईरा आदि मौजूद थे।

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