एग्जिट पोल्स के नतीजे और भाजपा की डिनर डिप्लोमेसी

BJP dinner Diplomacy
BJP dinner Diplomacy

देहरादून। BJP dinner Diplomacy लोकसभा पोल के नतीजों को फिलहाल अपने भीतर समेटे हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन्स का मुंह कल यानि 23 मई को खुलेगा और उसके बाद ही सभी गठबंधनों, पार्टियों और उम्मीदवारों की किस्मत क्या करवट लेगी, का भी पता चलेगा|

लेकिन उससे पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सभी सहयोगियों को दिल्ली के अशोका होटल में एक भव्य रात्रिभोज दिया। इस भोज में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी सहयोगी शामिल हुए। शिव सेना के उद्धव ठाकरे के लंदन में होने के चलते पहुंचने की उम्मीद कम थी लेकिन वह पंहुंचे।

राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए कुछ कहा नही जा सकता। जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार के चुनावी सुर हालांकि अमित शाह और नरेंद्र मोदी से मेल नहीं खा रहे थे लेकिन भोज में नीतीश भी पंहुंचे और गठबंधन के पक्के हमराह अकाली दल के सर्वेसर्वा प्रकाश सिंह बादल भी।

कुल मिलाकर एनडीए के 36 सहयोगी इस भोज में पंहुंचे और जिसे भी मौका मिला उसी ने मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल के बारे में कसीदे गढ़े। और एक तरह से नरेंद्र दामोदर मोदी के अगला प्रधानमंत्री होने पर मुहर लगा दी।

वैट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रहे थे

बताया जा रहा है कि तीन दलों के अपने पत्र के द्वारा अपनी गैरहाजिरी की पूर्ति कर दी। जबकि पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि शायद एनडीए की कुलजमा सीटों का आंकड़ा 235-240 के आसपास जाकर अटक जाए।

ऐसे में सहयोगी भी वैट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रहे थे फिर सॉ कॉल्ड एग्जिट पोल्स के नतीजे सामने आए जिसमें एनडीए को बेहतर से भी ऊपर यानी 300 सीट्स के पार दिखाया गया।

अब सहयोगियों के पास सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था और परिस्थितियों को अपने पक्ष में साधने वाले आंकड़ों के बाजीगर अमित शाह ने एक और बाजी जीत ली।

कल यानि 23 मई को आने वाले नतीजों में यदि भाजपा के परिणाम खराब भी आये तो उनकी सीट्स 185 के आसपास तो रहेंगी ही और एनडीए नीचे गिरकर भी 235 के नजदीक जा ठहरेगा यहीं यह डिनर डिप्लोमेसी काम आएगी।

39 घटक दलों ने अपना नेता स्वीकार कर ही लिया

रात्रि भोज के बहाने नरेंद्र भाई मोदी को 39 घटक दलों ने अपना नेता स्वीकार कर ही लिया है ऐसे में वह राष्ट्रपति भवन को अप्रोच करेंगे। तो सबसे बड़ी पार्टी और गठबंधन के सर्वमान्य नेता होने पर उनका प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है।

फिर जब उन्हें राष्ट्रपति भवन से बहुमत साबित करने के लिए समय मिलेगा तो वह हो जाएगा क्योंकि अमित शाह सब कुछ साध लेते हैं। और यदि चुनाव परिणाम एग्जिट पोल्स के आसपास भी आते हैं तो नरेंद्र मोदी का प्रधान मंत्री बनना वैसे ही तय है।

तो इन दोनों परिस्थितियों में आएगा तो मोदी ही, का नारा चरितार्थ होता दिख रहा है। वैसे एक तीसरी परिस्थिति भी है लेकिन उसे अभी छेड़ना नहीं बल्कि छोड़ना ही उचित होगा।

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