केदारघाटी में चार दिन में तीन बार आ चुके एवलांच

Avalanches have come three times in four days in Kedarghati

Avalanches have come three times in four days in Kedarghati

वैज्ञानिकों का लगे वैकल्पिक मार्ग की तलाश में
केदारनाथ यात्रा पर एवलांच को बताया खतरा

देहरादून। Avalanches have come three times in four days in Kedarghati चारधाम यात्रा मौसम की दुश्वारियों के बीच भी इन दिनों जोरों से चल रही है। केदार घाटी में पिछले 4 दिनों के भीतर तीन बार हिमस्खलन हो चुका है। इसके चलते कई बार केदारनाथ यात्रा को रोका भी गया है। लगातार तीन बार हुए हिमस्खलन और खराब मौसम के कारण श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले कुछ दिनों के भीतर लगातार तीन बार हिमस्खलन होने से आने वाले समय में और अधिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। दरअसल, केदारनाथ मंदिर जाने के लिए पैदल मार्ग में पड़ने वाले कुबेर ग्लेशियर के पास तीन बार हिमस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं।

इन हिमस्खलन की घटनाओं के दौरान हालांकि किसी भी श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां केदार घाटी में बन रही हैं, ऐसे में केदारघाटी में कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस पैदल यात्रा मार्ग का वैकल्पिक मार्ग खोजने की ओर ध्यान दे रहे हैं।

वाडिया इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया कि उच्च हिमालई क्षेत्रों में एवलांच का आना नॉर्मल प्रक्रिया है। लेकिन, क्लाइमेट चेंज होने की वजह से भी एवलांच की घटना पर असर पड़ रहा है।

पहले जनवरी-फरवरी में स्नो फॉल काफी होती थी। जिससे उसी दौरान एवलांच आते थे। लेकिन, वर्तमान समय में जनवरी-फरवरी में स्नो फॉल न होकर अप्रैल-मई में हो रहा है। इसके चलते इस दौरान एवलांच आ रहे हैं। रामबाड़ा से लेकर रुद्रा बेस कैंप के बीच ज्यादा एवलांच आ रहे हैं, जो कि यात्रा के लिए खतरनाक हैं।

एवलांच अब मई- जून में सक्रिय हो रहे हैं

साथ ही डीपी डोभाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों से वो खुद भी इसे देख रहे हैं कि स्नो फॉल का पैटर्न आगे शिफ्ट होने की वजह से एवलांच अब मई- जून में सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में श्रद्धालु जिस पैदल यात्रा मार्ग से केदार मंदिर जा रहे हैं, वो रास्ता काफी संवेदनशील है।

इस मामले को लेकर वो कई बार रुद्रप्रयाग जिला अधिकारी को रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं। वे लगातार इस पैदल यात्रा मार्ग से अलग एक वैकल्पिक मार्ग को तलाशने की बात कह रहे हैं। जिससे भविष्य में होने वाली किसी भी बड़ी घटना को टाला जा सके।

कुल मिलाकर वैज्ञानिक भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वर्तमान समय में जिस पैदल यात्रा मार्ग से श्रद्धालु केदार मंदिर जाते हैं, उस रास्ते को बंद कर एक नए वैकल्पिक मार्ग के माध्यम से श्रद्धालुओं को मंदिर भेजा जाए। क्योंकि, यह मार्ग अतिसंवेदनशील है, जहां हमेशा से ही एवलांच आते रहते हैं।

हाल ही में जो एवलांच आये थे, उनसे जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन भविष्य में कोई बड़ी घटना ना हो, उससे पहले ही राज्य सरकार को वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की जरूरत है।

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