बहुजनों के लिए 5 अगस्त ‘काला दिन’

August 5 'black day' for Bahujans

August 5 ‘black day’ for Bahujans

लखनऊ|August 5 ‘black day’ for Bahujans रिहाई मंच, सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच, बहुजन स्टूडेन्ट्स यूनियन, सामाजिक न्याय मंच, अब-सब मोर्चा सहित कई संगठनों की ओर राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन व शुभारंभ के आयोजन में प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री के शामिल होने की कठोर आलोचना की है|

संगठनों की ओर से कहा गया है कि मुल्क कोरोना महामारी की आपदा और लॉकडाउन से पैदा हुए संकट व बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है।

दूसरी तरफ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है। जहां आरएसएस प्रमुख के साथ यूपी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी मौजूद रहेंगे। इस दौर में भी भाजपा-आरएसएस के लिए भूमि पूजन महत्वपूर्ण है।

हमारा संविधान सेक्युलर-लोकतांत्रिक मुल्क के प्रधानमंत्री को किसी मंदिर, मस्जिद, गिरिजा घर, गुरुद्वारा के निर्माण के आयोजन में शामिल होने की इजाजत नहीं देता है।

लेकिन हमारे प्रधानमंत्री संविधान पर आघात करते हुए एवं सेक्युलर-लोकतांत्रिक मूल्यों को तिलांजलि देते हुए अपने हाथों राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन व शुभारंभ करेंगे। यह घोर असंवैधानिक, शर्मनाक, खतरनाक है।

सरकार का रिश्ता धार्मिक स्थलों के निर्माण से नहीं हो सकता

सरकार का रिश्ता धार्मिक आयोजनों और धार्मिक स्थलों के निर्माण से नहीं हो सकता। यह अलग-अलग धर्मों में आस्था रखने वाले अवाम का काम है। संविधान के आधार पर चलने की शपथ लेने वाली सेक्युलर-लोकतांत्रिक मुल्क की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की पहली जवाबदेही अवाम के जीवन रक्षा करने की बनती है|

संविधान प्रदत्त मानवाधिकारों की गारंटी करने की होती है। सरकार का काम भूख, बेरोजगारी, बदहाली, पिछड़ेपन जैसे सवालों का समाधान और शिक्षा-चिकित्सा का इंतजाम करना होता है।

संगठनों ने कहा है कि दरहकीकत, आयोध्या में बनने जा रहा राम मंदिर कोई धार्मिक आस्था का मसला नहीं है। यह हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों द्वारा बनाया जा रहा सामान्य मंदिर नहीं है।

यह लंबे समय से भाजपा और आरएसएस व उससे जुड़े संगठनों के वैचारिक-राजनीतिक मुहिम से जुड़ा एजेंडा रहा है। ब्राह्मणवादी-हिंदू राष्ट्र के प्रतीक के बतौर अयोध्या में भव्य राम मंदिर खड़ा होगा, जिसके शीर्ष पर निर्णायक तौर पर भगवा राज कायम होने का परचम लहराएगा।

बेशक राम मंदिर निर्माण का रिश्ता 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 में आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरा होने से जुड़ता है। भाजपा-आरएसएस राम मंदिर पूजन के जरिए लोकसभा चुनाव-2024 के लिए नये सिरे से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की शुरुआत करने जा रही है।

आर्थिक बदहाली के फेल्योर को छुपा लेने की ओर बढ़ रही

राम मंदिर निर्माण में जल्दबाजी करने के पीछे वह अपने शासन की विफलता, भ्रष्टाचार, सरकारी सम्पत्ति और शिक्षा को पूंजीपतियों के हाथों बेच देने और आर्थिक बदहाली के फेल्योर को छुपा लेने की ओर बढ़ रही है।

इस कार्यक्रम के जरिए आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरा होने के साथ ब्राह्मणवादी-हिंदू राष्ट्र निर्माण के एक मंजिल को पूरा करने की ओर बढ़ रही है जिसमें ब्राह्मणवादी हिंदू गौरव-हिंदू राष्ट्र के भव्य प्रतीक के बतौर राम मंदिर खड़ा होगा।

जारी बयान में कहा गया है कि 1990 में केन्द्र की वीपी सिंह की सरकार द्वारा 7अगस्त को मंडल कमीशन की एक सिफारिश-सरकारी सेवाओं में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की घोषणा के बाद ही एलके आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर के लिए रथ यात्रा की शुरुआत हुई।

मंडल के खिलाफ राम को खड़ा करने और पिछड़ों के उभार व बहुजन एकजुटता के खिलाफ हिंदू पहचान को उभारने का अभियान शुरु हुआ। राम की सवारी करते हुए खासतौर से हिंदी पट्टी में सामाजिक न्याय के इर्द-गिर्द बने नये सामाजिक-राजनीतिक समीकरण को तोड़ते हुए भाजपा लगातार मजबूत होते हुए सत्ता तक पहुंची और फिर 2014 में ऐतिहासिक जीत के साथ दुबारा सत्ता में पहुंची।

1991 से ही कांग्रेस द्वारा नई आर्थिक नीतियों की शुरुआत हुई । निजीकरण-उदारीकरण-वैश्वीकरण का अभियान आगे बढ़ा, जिसे कांग्रेस-भाजपा सरकारों ने बारी-बारी से धारावाहिकता में आगे बढ़ाने का काम किया।

रेलवे तक को कॉरपोरेटों के हवाले किया जा रहा

अब राम मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन व शुभारंभ हो रहा है तो दूसरी ओर निजीकरण की आंधी चल रही है। रेलवे तक को कॉरपोरेटों के हवाले किया जा रहा है। सवर्णों के शासन-सत्ता व अन्य क्षेत्रों में वर्चस्व की गारंटी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा चुका है और ओबीसी के आरक्षण को अंतिम तौर पर ठिकाने लगाया जा रहा है।

बहुजनों को शिक्षा से वंचित कर देने और शिक्षा को कॉरपोरेटों के हवाले कर देने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 को सरकार लागू करने के लिए आगे बढ़ रही है । किसानों-मजदूरों पर हमला तेज है।

लोकतंत्रिक आवाज का दमन चरम पर है| दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा-दमन व महिलाओं के साथ बलात्कार-उत्पीड़न चरम पर है। जीवन के हर क्षेत्र में ब्राह्मणवादी सवर्ण वर्चस्व नई ऊंचाई छू रहा है। मुल्क की संपत्ति-संसाधनों को देशी-विदेशी कॉरपोरेटों के हवाले किया जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में अवाम के संवैधानिक-लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की मांग करते हुए संगठनों ने कहा है कि 5 अगस्त 2020 को ही अनुच्छेद 370 को खत्म करने, जम्मू-कश्मीर राज्य को भंग करने और जम्मू-कश्मीर के लोगों को कैद करने का एक साल पूरा हो रहा है। अलगाववाद से निपटने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के नाम पर जम्मू-कश्मीर को मुल्क के शेष हिस्से से अलगाव में डाल दिया गया है।

संगठनों ने 5 अगस्त को काला दिवस ( August 5 ‘black day’ ) के बतौर रेखांकित करते हुए आह्वान किया है कि सच कहने के साहस के साथ हम संविधान के पक्ष में सामाजिक न्याय, आर्थिक बराबरी के साथ विकास व लोकतंत्र के मुद्दों पर आवाज बुलंद करें ।

मुद्दे इस प्रकार हैं

  1. संविधान पर आघात नहीं चलेगा!मनुविधान थोपने की साजिश बंद करो।
  2. धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र पर हमला नहीं चलेगा।
  3. प्रधानमंत्री-यूपी के मुख्यमंत्री राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन व शुभारंभ के आयोजन से दूर हटें।
  4. अवाम की जीवन रक्षा,सरकार की जिम्मेवारी।
  5. कोरोना महामारी व लॉकडाउन संकट में अवाम के रोटी-रोजगार व चिकित्सा की गारंटी करो।
  6. देश बेचना बंद करो!रेलवे सहित अन्य राष्ट्रीय संपत्ति-संसाधनों के निजीकरण पर रोक लगाओ।
  7. बहुजन विरोधी नई शिक्षा नीति-2020 वापस लो।
  8. सरकार विरोधी बुद्धिजीवियों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं का दमन बंद करो ।
  9. प्रो.हैनी बाबू, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबड़े, डॉ कफील सहित अन्य बुद्धिजीवियों व सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा करो।
  10. सामाजिक न्याय पर हमला नहीं चलेगा।
  11. क्रीमी लेयर के लिए आय के गणना में बदलाव के जरिए ओबीसी आरक्षण पर हमला बंद करो।
  12. असंवैधानिक क्रीमी लेयर खत्म करो।
  13. आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा खत्म कर ओबीसी को आबादी के अनुपात में 54% आरक्षण दो।
  14. ब्राह्मणवादी सवर्ण वर्चस्व हमें कबूल नहीं! असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण खत्म करो।
  15. दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों व महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा और बलात्कार पर रोक लगाओ।
  16. जम्मू-कश्मीर में अवाम के संवैधानिक-लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करो।

फेसबुक, ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपर्युक्त मुद्दों के पक्ष में लिखने, घरों से भी प्रतिवाद करने व मुद्दों के पोस्टर के साथ तस्वीर सोशल मीडिया पर डालने, सोशल मीडिया पर मुद्दों के पक्ष में पोस्टर प्रसारित करने और विडीओ बनाकर या लाइव आकर अपनी बात रखने के जरिए आवाज बुलंद किया जाएगा।

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