Attempt to grab land on the basis of fake documents
देहरादून। Attempt to grab land on the basis of fake documents उत्तराखण्ड में आये दिन जमीन पर कब्जे को लेकर भू-माफिया नये-नये हथकंडे अपना रहे हैं। उसमें फर्जी दस्तावेजो को बनवाकर जमीन को अपने नाम करवाना आम बात है।
कुछ ऐसा ही मामला सम्पत्ति संख्या 171, राजपुर रोड का है, जिसमें जमीन के दो दावेदार है पहली रतन कौर और दूसरे दावेदार हरेन्द्र और राजपाल है।
रतन कौर ने दावा किया है कि उन्हे यह सम्पत्ति 1987 में किराया कंट्रोलर द्वारा एलाॅट कर दिया गया था। वहीं दूसरी तरफ हरेन्द्र और राजपाल उक्त सम्पत्ति को रंजीत कुमार बनर्जी से खरीदने का दावा कर रहे हैं।
अगर हम रंजीत कुमार बनर्जी की बात करे तो उनकी मृत्यु हो चुकी है और मृत्यु प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा देखने को मिल रहा है। रंजीत कुमार बनर्जी के दो मृत्यु प्रमाण पत्र सामने आये है। एक में उनकी मृत्यु की तारीख 25 फरवरी 2003 अंकित है और दूसरे प्रमाण पत्र में 06 दिसम्बर 2003 अंकित है।
अब सवाल यह उठता है कि दोनो मृत्यु प्रमाण पत्रो में से कौनसा प्रमाण पत्र सही है एवं इससे जमीन के दस्तावेजो पर क्या असर पड़ेगा? इसकी अगर सही तरीके से जांच हो तो सारा मामला सामने आ सकता है। हो सकता है कि यह सारा खेल जमीन के मुख्तारनामा (पावर आॅफ एटाॅर्नी) को लेकर हो।
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