राज्यसभा सीट पर Anil Baluni के सामने बौने पड़े दो दिग्गज
…अब क्या भाजपा में एड्जेस्ट हो पायेंगे महाराज व बहुगुणा?
देहरादून। राजनीति में सारा खेल गहरी सियासत का चलता है। वरिष्ठ सियासतदार अथवा सियासी दांच-पेंच का चक्रव्यूह रचने वाले राजनीतिज्ञ इस बात को भलि-भांति समझते व जानते हैं। यह बात भी सोलह आने सही है कि राजनीति में किये गये वायदे भी नकार दिये जाते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि राजनीति में किस्मत के सितारे ही चमकते हैं।
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वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य में भाजपा की सरकार है और इस सरकार में करीब एक वर्ष पूर्व कांग्रेस के कुछ बागी शामिल भी हुए थे। बताया जाता है कि इन बागी नेताओं में से पूर्व सीएम विजय बहुगुणा तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल महाराज को भाजपा में कुछ महत्वपूर्ण शर्तों पर शामिल किया गया था। यह कहा जाता रहा है कि दोनों महानुभावों को राज्यसभा में भेजने का आश्वासन भाजपा के आलाकमान दरबार से मिला था और तभी से ये दोनों नेता राज्यसभा पहुंचने के लिए व्याकुल नजर आ रहे थे।
बहुगुणा और महाराज के अपने-अपने सपने धराशायी हो गये
आज जब भाजपा ने राज्य के कोटे वाली राज्यसभा की एक सीट पर अनिल बलूनी की ताजपोशी की मजबूत तैयारी कर ली है तो बहुगुणा और महाराज के अपने-अपने सपने धराशायी हो गये। इन दोनों ही नेताओं ने राज्यसभा की सीट से एक बार फिर से हाथ धो लिए हैं। उत्तराखण्ड में राज्यसभा की खाली हुई एक कुर्सी के लिए भाजपा आलाकमान के पास करीब आधा दर्जन नामों की सूचि थी, जिनमें महाराज, बहुगुणा के अलावा अनिल बलूनी का नाम मुख्य रहा है।
लेकिन लाईन में खड़े विजय बहुगुणा व सतपाल महाराज को भाजपा आलाकमान ने दरकिनार करते हुए अपने चहेते अनिल बलूनी को राज्यसभा भेजने की पूरी तैयारी कर ली है, बलूनी का एकल नामांकन भी हो चुका है और उनके नाम पर सिर्फ औपचारिक मुहर लगना शेष है। राज्यसभा की इस महत्वपूर्ण कुर्सी पर ताजपोशी का रास्ता स्पष्ट होने के बाद अब बहुगुणा और सतपाल महाराज का राजनैतिक कैरियर एक बार फिर से दांव पर लग गया है।