20000 people confined to their homes in Kashipur
बड़ा खुलासा, दरोगा की मारपीट का आई लव मौहम्मद मार्च से सम्बन्ध नहीं
डीएम, मुख्य सचिव, राज्यपाल, हाईकोर्ट, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ई.मेल भेजकर की उत्पीड़न रोकने, संवैधानिक अधिकार व न्याय दिलाने की मांग
काशीपुर। 20000 people confined to their homes in Kashipur आई लव मौहम्मद के नाम पर मीडिया की सुर्खियों में छायी घटना में दरोगा से मारपीट को आई लव मौहम्मद मार्च से अवैध रूप से जोड़ा जा रहा है जबकि दरोगा की मारपीट का इस मार्च से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने निष्पक्ष व निर्भीक लोगों से की गयी जानकारी के आधार पर किया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग पुलिस की पिटाई उत्पीड़न व मानवाधिकार हनन के कार्यों के चलते वास्तविकता बोलने से डर रहे हैं।
नदीम ने बताया कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि 21 सितम्बर 2025 को रात्रि लगभग 9 बजे नाबालिग बच्चे स्वयं स्वेच्छा से बिना किसी के उकसावे अल्लीखां चौक के पास आई लाई लव मौहम्मद लिखे पोस्टर हाथ में लेकर निकलने लगे। विभिन्न अन्य लोग तथा रोड पर चलने तथा अल्लीखां चौक के आसपास रहने वाले लोग उन्हें देखने लगे। थोड़ी देर में इसकी सूचना मिलने पर बांसफोड़ान चौकी इंजार्च अल्लीखां चौक पहुंचे और उन बच्चों को समझाने लगे। बच्चों ने वहीं मौहल्ला अल्लीखां में ही अपना मार्च समाप्त कर दिया तथा विभिन्न रास्तों से अपने घर चले गये।
उसके थोड़ी देर बाद जुलुस, पुलिस के लाठीचार्ज तथा दरोगा की पिटाई की खबरें सोशल मीडिया पर चलने गली। दरोगा की पिटाई के मार्च स्थल से आधा किमी दूर बाल्मीकि बस्ती के पास वायरल वीडियो में भी कुछ बच्चे दरोगा से मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना हैं कि इन बच्चों से आई लव मौहम्मद मार्च में शामिल बच्चों का कोई सम्बन्ध नहीं हैं।
रात 11 बजे से अल्लीखां व थाना साबिक क्षेत्र को बंद करा दिया गया तथा यहां की लगभग 20 हजार जनता को घरों में बंदी जैसा बना दिया गया तथा यह सिलसिला अभी तक जारी है। रात 11 बजे से ही एक राजनैतिक दल के पोस्टर व फ्लैक्सी में लगे फोटो के आधार पर लोगों को घरों से उठाकर ले जाना शुरू कर दिया गया।
फिर सी.सी.टी.वी. फुटेज के आधार पर आई लव मौहम्मद मार्च में शामिल बच्चों तथा मार्च के बाद अपने घर जा रहे बच्चों, उन्हें देखने आये अन्य व्यक्तियों तथा राहीगीरों यहां तक दुकानदारों तथा उनके दुकान पर मौजूद ग्राहकों को मार्च में शामिल बताकर थाने व पुलिस चौकियों पर ले जाया गया तथा सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार उनकी अवैध रूप से जमकर पिटाई की गयी।
इतना ही नहीं जो बच्चा या बड़ा घर पर नहीं मिला उसके निकट सम्बन्धी को उठाकर ले जाया गया है। पांच दिन होने पर भी इनमें से अधिकतर को अवैध रूप से बंदी बनाकर भूखा प्यासा रखा गया हैं तथा उनके परिवार के लोगों तथा उनकी पसंद के अधिवक्ताओं को भी मिलने नहीं दिया जा रहा है।
इस मामले को तूल देते हुये दरोगा की पिटाई की घटना के लिये लोगों पर इल्जाम लगाते हुये पूरे अल्ली खां, व थानासाबिक क्षेत्र को टारगेट करते हुय थाना साबिक चुगी से लेकर अल्ली खां, चौराहे तक के काशीपुर के यातायात के प्रमुख मार्ग अल्लीखां, मार्ग को बैरिकैट लगाकर बंद करके पुलिस के जवानों को बैठा दिया गया तथा दुकानों को बंद करा दिया गया।
रात को 7 बजे से सुबह 7 बजे तक अघोषित कर्फ्यू लगा दिया गया है दुकानों तथा लोगों को घरों से बाहर आने पर पाबंदी है। इसके साथ इस क्षेत्र के घरों की जांच दस बारह लोगों की टीम घर-घर जाकर करायी जा रही तथा बिजली के स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं तथा राशन कार्डों आदि की भी जांच करायी जा रही है।
साथ ही नगर निगम अधिकारियों के द्वारा बिना किसी नोटिस के नालियों, नाले तथा उन पर चढ़ने के लिये बनी पैरियों को बुल्डोजर से तोड़ दिया गया जिससे क्षेत्र में गंदगी हो गयी है तथा बच्चे व महिलायें घरों से निकल नहीं पा रहे हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता व समाजसेवी नदीम उद्दीन ने दरोगा से पिटाई की निंदा करते हुये वास्तविक दोषियों का पता लगाकर कानून के अनुसार कार्यवाही करने, अल्लीखां थानासाबिक क्षेत्र के 20 हजार लोगों को घरों में बंदी जैसा बनाकर किये जा रहा है अवैध उत्पीड़न व मानवाधिकार तथा मूल अधिकार हनन रोकने तथा न्याय दिलाने की मांग डी.एम. उधमसिंह नगर, मुख्य सचिव उत्तराखंड, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ई-मेल भेज कर की।
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