भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा आतंकवाद के खिलाफ आधे-अधूरे उपाय नहीं चलेंगे

नई दिल्ली । भारत ने संयुक्त राष्ट्र को पुनः चेतावनी दी है कि आतंकवाद सभी मानवाधिकारों के लिए एक मौलिक चुनौती बन कर सामने आया है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समझना चाहिए कि अब आधे-अधूरे  उपायों से काम नहीं चलेगा।
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों की रक्षा और संरक्षण पर भारत की ओर से बोलते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने सभी सदस्य देशों के मानवाधिकारों की रक्षा और आतंकवादियों को मिला हुआ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन नष्ट करने के लिए विशेष प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं और मानवता को एकजुट करने के लिए है। यद्यपि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए है, परंतु ऐसा लगता है यह विभाजित कर रहा है।
पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा मानवाधिकारों के राजनीतिक औजार के रूप में उपयोग करने की बढ़ती प्रवृत्ति, देशों से मानवाधिकार प्रणाली की विश्वसनीयता कम हो जाती है। इससे सदस्य देशों का ध्रुवीकरण होता है जिससे सहयोग में रुकावट आ जाती है। उन्होंने कहा मानवाधिकारों के मुद्दों को अलग दृष्टि से नहीं देखा जा सकता और मानाधिकारों के लिए किसी एकल दृष्टिकोण भी नहीं हो सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि मानवाधिकारों, विकास, लोकतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बीच जटिल संबंधों की अवहेलना करना विश्व समुदाय के हित में नहीं होगा।
भारतीय प्रतिनिधि ने किसी भी बाहरी शर्त या वैचारिक संलग्नता के बिना आपसी परामर्श एवं वार्ता और राष्ट्रीय क्षमताओं को मजबूत बनाने के प्रक्रिया पर जोर दिया और कहा कि विशेष प्रक्रिया जनादेश धारकों की भी इस संबंध में एक विशेष जिम्मेदारी है।